Shardiya Navratri 2021: नवरात्रि का शुभ मुहूर्त, कलश स्थापना करते समय इस बात का रखे विशेष ध्यान

नवरात्रि (Navratri ) का त्योहार पूरे देश भर में मनाया जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 7 अक्टूबर 2021 से हो रही है।
नवरात्रि (Navratri ) का त्योहार पूरे देश भर में मनाया जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 7 अक्टूबर 2021 से हो रही है।

नवरात्रि (Navratri ) का त्योहार पूरे देश भर में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि (Navratri 2021) को विशेष महत्व है। शारदीय नवरात्रि महापर्व में मां दुर्गा (Maa Durga) के 9 दिव्य रूपों की उपासना की जाती है। इस दौरान लोग उपवास रखते हैं और 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होती है और महानवमी के दिन समाप्त होती है। उसके अगले दिन विजय दशमी (Vijyadashmi) या दशहरा (Dussehra) का पर्व (Festival) पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 7 अक्टूबर 2021 से हो रही है। इस बार तृतीया और चतुर्थी तिथि एक साथ पड़ रही है जिसके कारण नवरात्रि 8 दिनों की होगी। नवरात्रि व्रत ( Navratri Vart) का समापन 14 अक्टूबर को हो रहा है और 15 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा।

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प्रत्येक संवत्सर (साल) में 4 नवरात्र ( Navratri ) होते हैं जिनमें विद्वानों ने वर्ष में 2 बार नवरात्रों में आराधना का विधान बनाया है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चै‍त्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से 9 दिन यानी नवमी तक नवरात्र होते हैं। ठीक इसी तरह 6 माह बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी (Mahanavmi) यानी विजयादशमी के एक दिन पूर्व तक देवी की उपासना की जाती है। स‍िद्धि और साधना की दृष्टि से से शारदीय नवरात्र को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस नवरात्र में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति के संचय के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं।

मुख्यत: शक्ति की उपासना आदिकाल से चली आ रही है। वस्तुत: श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के अंतर्गत देवासुर संग्राम का विवरण दुर्गा की उत्पत्ति के रूप में उल्लेखित है। समस्त देवताओं की शक्ति का समुच्चय जो आसुरी शक्तियों से देवत्व को बचाने के लिए एकत्रित हुआ था, उसकी आदिकाल से आराधना दुर्गा-उपासना के रूप में चली आ रही है। 

नवरात्रि ( Navratri 2021 ) पर कलश स्थापना करने के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना जरूरी:

नवरात्रि ( Navratri ) की पूजा में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि कलश को विष्णु (Lord Vishnu) का रूप माना जाता है। इसलिए नवरात्रि से पहले घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है। कलश स्थापना करने के लिए शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurt) का ध्यान रखना भी जरूरी होता है

नवरात्र ( Navratri ) पर्व के प्रथम दिन स्नान आदि के बाद घर में धरती माता, गुरुदेव व इष्ट देव को नमन करने के बाद गणेश जी का आहवान करना चाहिए। इसके बाद कलश की स्थापना करना चाहिए। इसके बाद कलश (Kalash) में आम के पत्ते व पानी डालें। कलश पर पानी वाले नारियल को लाल वस्त्र या फिर लाल मौली में बांध कर रखें। उसमें एक बादाम, दो सुपारी एक सिक्का जरूर डालें। इसके बाद मां सरस्वती, मां लक्ष्मी व मां दुर्गा का आह्वान करें। जोत व धूप बत्ती जला कर देवी मां के सभी रूपों की पूजा करें। नवरात्र के खत्म होने पर कलश के जल का घर में छींटा मारें और कन्या पूजन के बाद प्रसाद वितरण करें।

शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) पर घट स्थापना मुहूर्त:

आसोज शुक्ला प्रतिपदा गुरुवार दिनांक 7 अक्टूबर 2021 को शारदीय नवरात्रि ( Navratri ) प्रारंभ हो रहे हैं देवी पुराण में नवरात्रा पर देवी का आह्वान स्थापना व पूजन का समय प्रातः काल लिखा है किंतु प्रतिपदा के दिन चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग को वर्जित बताया गया है यदि प्रतिपदा को संपूर्ण दिन चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग विद्यमान रहे तो देवी का आह्वान व घटस्थापना अभिजीत व्रत में ही करने के निर्देश मिलते हैं। इस बार नवरात्रा के दिन चित्र नक्षत्र रात्रि 9:13 तक वैधृति योग रात्रि 1:39 तक रहेगा । अतः दिनांक 7 अक्टूबर को घटस्थापना का समय दोपहर 11:52 से 12:38 तक अभिजीत व्रत में सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

जानिए मां दुर्गा के किस रूप की करें किस दिन उपासना:

7 अक्टूबर – मां शैलपुत्री की आराधना

8 अक्टूबर – मां ब्रह्मचारिणी की आराधना

9 अक्टूबर – मां चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा की पूजा

10 अक्टूबर – मां स्कंदमाता की आराधना

11 अक्टूबर – मां कात्यायनी की आराधना

12 अक्टूबर – मां कालरात्रि की आराधना

13 अक्टूबर – मां महागौरी की पूजा

14 अक्टूबर – मां सिद्धिरात्रि की पूजा

15 अक्टूबर – दशहरा

पंडित राजेश्वर दास विश्वप्रसिद्ध भविष्य प्रवक्ता एवं गोल्डमेडलिस्ट, जयपुर।
डॉ. पंडित राजेश्वर वशिष्ठ उर्फ चिनिया महाराज
गोल्ड मेडलिस्ट, विश्व प्रसिद्ध भविष्य प्रवक्ता

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