जीवन साथी हो तो ऐसा: पत्नि ने किडनी देकर पति को दिया जीवनदान; सात फेरो के वचनो को निभाया

शहर के वार्ड नं 6 की 26 वर्षीया भगवती देवी ने अपने पति शंकरलाल वर्मा को किडनी (Kidney) डोनेट कर नई जिदंगी दी है।
शहर के वार्ड नं 6 की 26 वर्षीया भगवती देवी ने अपने पति शंकरलाल वर्मा को किडनी (Kidney) डोनेट कर नई जिदंगी दी है।

जयपुर। सती सावित्री की कहानी शायद ही कोई हो जिसने न पढ़ी हो। कहते है सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों के लिए यमराज से भी टकरा गई थी और आखिरकार यमराज को भी हार मानकर सत्यवान के प्राण लौटाने पड़े थे। आज भी महिलाओ के लिए सती सावित्री आदर्श महिला के रूप में जानी जाती है।

ऐसा ही एक उदाहरण रेनवाल (Renwal) में देखने को मिला जिसमे एक युवा महिला ने अपनी किडनी (Kidney) डोनेट कर जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे पति को जीवनदान दिया। शहर के वार्ड नं 6 की 26 वर्षीया भगवती देवी ने अपने पति शंकरलाल वर्मा को किडनी डोनेट कर नई जिदंगी दी है। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद पति पूरी तरह से स्वस्थ है वह पहले की तरह अपने कामधाम में लग गया है। एमए पास भगवती देवी का कहना है कि मेरा पति मेरे लिए सब कुछ है। मैनेें तो किडनी डोनेट कर अपना पत्निधर्म निभाया है।

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भगवती देवी ने वर्ष 2014 में शहर के शंकरलाल के साथ अग्नि के सामने फेरे लेकर जन्म जन्मो तक साथ निभाने का वचन लिया । दोनों ने नई जिंदगी की खुशी-खुशी शुरआत की। शंकर के पास ट्रक था जिसे चलाकर वह परिवार का खर्चा आराम से चल रहा था। चार साल में दो बच्चे के अभिभावक बन गए।

परिवार में सब कुछ सही चल रहा था लेकिन विधि को कुछ और ही मंजूर था। वर्ष 2018 में एक दिन शंकरलाल के पेशाब में दिक्कत हुई। जांच कराई तो क्रिटेनन बढ़ा हुआ आया। डाक्टर को दिखाने व दवा लेने का सिलसिला चल पड़ा। पहले जयपुर (Jaipur) फिर दिल्ली, अहमदाबाद सब जगह दवाईयां ली लेकिन क्रिटेनन बढ़ता गया। ज़ुलाई 2020 में डायलेसिस शुरू हो गया। शुरूआत में डाललेसिस 15 दिन से होता था लेकिन कुछ दिनों बाद सात दिन और फिर सप्ताह में दो बार होने लगा।

शंकर का वजन 70 किलो से घटते-घटते मात्र 35 किलो रह गया। डॉक्टर ने कह दिया कि किडनी ट्रांसप्लांट ही एक मात्र विकल्प है। लगातार तीन साल से इलाज के लिए जगह-जगह जाने में पत्नि हमेशा पति का हौसला बढ़ाती रही। पति ही नहीं पूरे परिवार को हिम्मत देती रही। उसने पति को स्वस्थ करने के लिए खुद किडनी देने का निश्चय किया।

सितंबर 2021 में जयपुर के निम्स हॉस्पिटल (NIMS Hospital) में डॉ प्रतीक त्रिपाठी व उनकी टीम ने किडनी ट्रांसप्लांट किया। करीब एक सप्ताह हॉस्पिटल में रहने के बाद पति व पत्नि को डिस्चार्ज कर दिया गया । अब दोनों पूरी तरह से स्वस्थ है। अपनी पत्नि के इस त्याग पर पति भावुक हो जाते है।  

बीपीएल शंकरलाल के तीन वर्ष तक चले इलाज व ऑपरेशन में 20 लाख से ज्यादा खर्च हो गए। शंकर लाल ने बताया कि स्वयं का ट्रक व प्लॉट बिक गया। इतना ही नहीं  10 लाख का कर्जा भी हो गया। शंकर का कहना है कि अब दुकान करना चाहता हूं, लेकिन आर्थिक स्थिती खराब है। सरकार कुछ मदद कर दे तो कामधाम कर परिवार चला सकूं।

यूं तो महिलाओं के त्याग एवं समर्पण की गाथाओं से इतिहास भरा पड़ा है। लेकिन इस युग में भगवती व शंकर की हकीकत सती सावित्री व सत्यवान की कहानी से कम नहीं है। भगवती व शंकर की हक़ीक़त भरी ये कहानी अंतराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) पर काफी प्रेरणादायक सिद्ध होगी। (विष्णु जाखोटिया की रिपोर्ट)

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