
- कृषि विधेयकों के विरोध कर रहे आंदोलनरत किसानों के नैतिक समर्थन में राजस्थान विश्वविद्यालय (Rajasthan University) के शिक्षकों का प्रदर्शन.
- जय किसान आंदोलन का हस्ताक्षर अभियान.
- 3 कृषि विधेयकों को करोना संकटकाल में संसद में बिना बहस एवं मत विभाजन के पास करना अलोकतांत्रिक.
- जय किसान आंदोलन की टीम ने विधेयकों के विरोध में हस्ताक्षर व जनजागरूकता अभियान चलाया.
जयपुर । तीन कृषि विधेयकों के विरोध में हो रहे देशव्यापी प्रदर्शन एवं भारत बंद के समर्थन में राजस्थान विश्वविद्यालय (Rajasthan University) के शिक्षकों ने भी विश्वविद्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर प्रदर्शन किया।
विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने हाथ पर काली पट्टी बांधकर एवं “किसान-बचाओ, लोकतंत्र-बचाओ” की तख्तियां हाथ में लेकर अपना विरोध प्रदर्शित किया एवं किसानों के विरोध को अपना नैतिक समर्थन प्रदान किया।


विश्वविद्यालय के शिक्षकों का नेतृत्व कर रहे लोक प्रशासन विभाग के सहायक प्रोफेसर सी.बी.यादव ने बताया कि उक्त तीनों कृषि विधेयक निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र को कृषि क्षेत्र में किसानों को लूटने की पूरी छूट प्रदान कर देंगे। ये तीनों बिल न केवल किसान विरोधी है बल्कि इनसे कॉरपोरेट्स को मिली असीमित स्टॉक की छूट से देश का मध्यम वर्ग भी अनियंत्रित महंगाई एवं खाद्य संकट का सामना करेगा।
हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ.विशाल विक्रम ने मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि जिस तरह किसान विरोधी 3 कृषि विधेयकों को करोना संकटकाल में संसद में बिना बहस एवं मत विभाजन के पास किया है वह घोर अलोकतांत्रिक है। देश के प्रत्येक जागरूक नागरिक को इस प्रकार के अलोकतांत्रिक कार्यों की भर्त्सना करनी चाहिए। प्रदर्शन में राजस्थान विश्वविद्यालय (Rajasthan University) के शिक्षक डॉ. मनीष सिनसिनवार, डॉ.आनुभव वासनिक, डॉ.गजेंद्र फोगाट,डॉ. जगदीश गिरी,डॉ.जी.एल. मीणा, डॉ. जितेंद्र यादव, डॉ.डी.सुधीर सहित कई अन्य शिक्षकों ने भाग लिया।
प्रदर्शन के दौरान जय किसान आंदोलन की टीम ने योगेश जांगिड़, रजत गोठवाल व सुभाष वर्मा के नेतृत्व में किसान विरोधी तीन कृषि विधेयकों के विरोध में हस्ताक्षर व जनजागरूकता अभियान चलाया।