विधायक ने सरकार को प्राकृतिक स्रोत को लेकर दिए सुझाव: यमुना नदी का पानी लाकर सूख चुके प्राकृतिक स्रोतों को पुनर्जीवित किया जाए; राजोला बांध सहित ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल योजना बनाने का दिया सुझाव

विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि सरकार यमुना के पानी को लाकर पूर्ण रूप से सूख चुके प्राकृतिक स्रोतों (Natural Source) को पुनर्जीवित करने का काम करें।
विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि सरकार यमुना के पानी को लाकर पूर्ण रूप से सूख चुके प्राकृतिक स्रोतों (Natural Source) को पुनर्जीवित करने का काम करें।

जयपुर। विधानसभा सत्र के दौरान अनुदान की मांग संख्या 27 के तहत पेयजल योजना (Drinking Water Scheme) पर विचार पर बोलते हुए चौमूँ विधायक रामलाल शर्मा ने विधानसभा क्षेत्र की पेयजल समस्याओं को सरकार के सामने रखा।

विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि पानी का कोई अन्य विकल्प नहीं है और सरकार यमुना के पानी को लाकर पूर्ण रूप से सूख चुके प्राकृतिक स्रोतों (Natural Source) को पुनर्जीवित करने का काम करें। यदि रामगढ़ बांध, ईसरदा बांध, कालख बांध को पुनर्जीवित किया जाता है, तो पेयजल के साथ-साथ सिंचाई का विकल्प भी जीवित होता है।

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विधायक रामलाल शर्मा ने नगरपालिका (Municipality) क्षेत्र चौमूँ की गंभीर पेयजल समस्या का मुद्दा उठाते हुए कहा कि 2018 के चुनाव समर में मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि चौमूँ को बीसलपुर से जोड़ा जाएगा, परंतु अभी तक भी इस योजना से नहीं जोड़ा गया है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि हरमाड़ा तक बीसलपुर योजना संचालित है और हरमाड़ा (Harmada) से चौमूँ की दूरी सिर्फ 15 किलोमीटर है। सरकार 15 किलोमीटर पाइप लाइन और बीसलपुर (Bisalpur) का पानी सेकंड फेज के अंतर्गत चौमूँ को देने का काम करें। क्योंकि पूर्व में 9 एसआर टंकी और पाइप लाइन बिछाने का कार्य नगरपालिका क्षेत्र में पूर्ण किया जा चुका है। सरकार सिर्फ द्वितीय फेज में हरमाड़ा से चौमूँ को बीसलपुर योजना में जोड़ने का काम करें।

साथ ही ग्राम आष्टी कला, हस्तेडा, भूतेडा, किशनपुरा और नांगल में बढ़ते फ्लोराइड की मात्रा को देखते हुए निकटतम फुलेरा विधानसभा में संचालित बीसलपुर पेयजल योजना से इन गाँवो को जोड़ने की बात कही।उन्होंने प्राचीन राजोला बांध का पुनर्निर्माण करवाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि महारकला, सामोद, धवली, नांगल, हाथनोदा, अमरपुरा, फतेहपुरा, बरवाड़ा, सहित कई गांव में वाटर रिचार्ज करने का कार्य राजोला बांध से होता था परंतु 1995 में अधिक वर्षा के कारण यह प्राकृतिक बांध टूट गया और आसपास की पंचायतों का जलस्तर काफी नीचे चला गया।

यदि पहाड़ी क्षेत्र पर बने राजोला बांध का पुनर्निर्माण और अन्य छोटे-छोटे एनीकटो का निर्माण किया जाता है तो व्यर्थ बहने वाले बारिश के पानी से भूमि के जलस्तर को बढ़ाया जा सकता है। मैंने भी अपने विधायक कोष से 25 लाख रुपए की लागत से सामोद में एनीकट निर्माण करने की स्वीकृति प्रदान की है। उन्होंने जल जीवन मिशन योजना का जिक्र करते हुए कहा कि इस योजना में लगे अधिकारियों ने एक बंद कमरे में बैठकर योजना का तकनीमा बनाने का काम किया।

जिससे पानी की बिना उपलब्धता के ही करोड़ों रुपए का तकनीमा बना दिया गया, ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करें। और समय रहते तकनीमे को परिवर्तित कर जहाँ पानी का सोर्स है, वहाँ के सोर्स लेकर दीर्घकालीन योजना बनाई जाए। और हाल ही में 28 फरवरी को 70 टेंडर निरस्त कर दिए गए, अब वो टेंडर कब होंगे, कोई पता नहीं। इसलिए पंचायत स्तर पर टेंडर लगाये जाए ताकि समय पर कार्य पूर्ण हो सके।

उन्होंने बरसात के पानी को इकट्ठा करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में सरकार द्वारा प्रत्येक किसान परिवार को 2 लाख रूपयो की सहायता देकर पौंड बनाने का काम करने का सुझाव दिया। इसके अलावा उन्होंने पहाड़ी इलाकों में एनीकट निर्माण कार्य सहित कई मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।

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