जयपुर । कृषि कानून (Agricultural Law) रद्द कराने की मांग को लेकर राजस्थान (Rajasthan) के किसानो ने भी संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisaan Morcha) के आव्हान पर आज जयपुर के विभिन्न किसान संगठनों ने शहीद स्मारक (Martyrs Memorial) पर धरना देकर ‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ (Save Agriculture, Save Democracy) की आवाज बुलंद की। कृषि कानून (Agricultural Law) रद्द कराने की मांग को लेकर किसान (Farmer) पिछले सात महीने से लिए आंदोलन कर रहे हैं। किसान आज ‘कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ (Save Agriculture,Save Democracy) दिवस मना रहे है।
विभिन्न किसान संगठनों के सैकड़ों प्रतिनिधि शहीद स्मारक पर एकत्रित होकर राजभवन की ओर कूच किया। हालांकि मार्ग में भाजपा मुख्यालय के समक्ष कुछ समय के लिए आंदोलनकारी किसानों ने जबरदस्त नारेबाजी की लेकिन पुलिस व किसान नेताओं की समझाइश के उपरांत राजभवन तक मार्च शांतिपूर्ण रहा।
शहीद स्मारक (Memorial) पर किसान सभा को किसान नेता अमराराम, प्रोफ़ेसर सी.बी.यादव, रणजीत सिंह राजू के.सी.घुमरिया, मालीराम यादव, कैलाश यादव, हरी गठाला, धर्मेंद्र अचनारा, विमल कुमार यादव,निशा सिद्धू सहित कई किसान नेताओं ने संबोधित किया। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता प्रोफेसर सी.बी.यादव ने बताया कि किसान आंदोलन के 7 माह पूरे होने के अवसर पर अब संयुक्त किसान मोर्चा ने तीन कृषि कानून की वापसी एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य के गारंटी कानून के साथ-साथ लोकतंत्र बचाने की मुहिम भी शुरू की है।
क्योंकि जिस प्रकार से किसान आंदोलन (farmers movement) के प्रति सरकार का असंवेदनशील एवं दमनकारी रवैया रहा है वह किसी भी घोषित आपातकाल से कम नहीं है। पिछले 7 माह में किसानों ने सभी लोकतांत्रिक तरीकों को इस्तेमाल कर लिया है लेकिन मोदी सरकार पर इसका कोई प्रभाव काम नहीं कर रहा है।
भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के प्रवक्ता प्रोफेसर सी.बी.यादव ने बताया कि अब संयुक्त किसान मोर्चा ने यह महसूस किया है कि खेती बचाने के साथ-साथ किसान संगठनों को लोकतंत्र बचाने की मुहिम भी चलानी पड़ेगी। बंगाल के चुनाव में इसका परिणाम भी देखने को प्राप्त हुआ है तथा आगामी विधानसभा चुनाव में भी किसान संगठन इस मुहिम को जारी रखेंगे।
किसान नेता अमराराम ने किसानों की मांग के साथ साथ तेजी से बढ़ रही पेट्रोल व डीजल की कीमतों को मुख्य रूप से उठाते हुए इसके विरोध में शीघ्र ही व्यापक आंदोलन छेड़ने की बात कही है। यद्यपि किसान संगठनों का राज्यपाल को ज्ञापन देने का कार्यक्रम था लेकिन राज्यपाल राजभवन से बाहर होने के कारण उनके प्रतिनिधिमंडल द्वारा ही किसानों से ज्ञापन दिया गया।