Amla Navami: आंवला के वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति को मिलती है पापों से मुक्ति !

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को आंवला नवमी (Amla Navami) मनाते हैं। आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जानते हैं। इस साल आंवला नवमी (Amla Navami) 12 नवंबर, शुक्रवार को है। हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व है।
इस साल आंवला नवमी (Amla Navami) 12 नवंबर, शुक्रवार को है। हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व है।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को आंवला नवमी (Amla Navami) मनाते हैं। आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जानते हैं। इस साल आंवला नवमी (Amla Navami) 12 नवंबर, शुक्रवार को है। हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व है।

आंवला नवमी (Amla Navami) के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करते हुए परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। इसके साथ ही इस दिन वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है। प्रसाद के रूप में भी आंवला खाया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ से आंवले नहीं तोड़े जाते है।

HD मेकअप, हेयर स्पा, हेयर स्टाइलिंग, स्किन केयर, मैनीक्योर, आदि करवाना चाहते हो?
जेम्स हर्बल ब्यूटी पार्लर एंड ट्रेनिंग सेंटर
रावत शॉपिंग प्लाजा, चौमूँ , जयपुर
केवल महिलाओं के लिए
AD
जेम्स ब्यूटी पार्लर के बारे में अधिक देखे »

मान्यता है कि आंवला नवमी (Amla Navami) के दिन दान करने से पुण्य का फल इस जन्म के साथ अगले जन्म में भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। आंवला नवमी के व्रत से प्राप्त होने वाला फल और पुण्य अक्षय होता है, उसका कभी क्षय या ह्रास नहीं होता है।

आंवला नवमी (Amla Navami) व्रत देव उठनी एकादशी व्रत (Aikadashi Vrat) से दो दिन पूर्व रखा जाता है। आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा करने का विधान है।

इस वर्ष आंवला नवमी (Amla Navami Date) कब है? पूजा का मुहूर्त क्या है?

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ 12 नवंबर दिन शुक्रवार को प्रात: 05 बजकर 51 मिनट पर हो रहा है। नवमी तिथि का समापन 13 नवंबर दिन शनिवार को प्रात: 05 बजकर 31 मिनट पर होगा। व्रत के लिए उदया तिथि मान्य होती है, ऐसे में इस वर्ष आंवला नवमी (Amla Navami) या अक्षय नवमी का व्रत 12 नवंबर दिन शुक्रवार को रखा जाएगा।

मान्यता है कि इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ होता है। द्वापर युग में भगवान विष्णु के आठवें अवतार प्रभु श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण (God Shri Krishana) ने वृंदावन गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा (Mathura) की ओर प्रस्थान किया था। इसी वजह से वृंदावन (Vrandavan) परिक्रमा की जाती है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *