Sankashti Chauth 2022: सकट चतुर्थी व्रत के दिन इस बार विशिष्ट संयोग!

माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट (संकष्टी) चतुर्थी (Sakat Chauth 2022) या तिलकुटा चौथ (Tilkuta Chauth) कहते हैं।
माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट (संकष्टी) चतुर्थी (Sakat Chauth 2022) या तिलकुटा चौथ (Tilkuta Chauth) कहते हैं।

माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट (संकष्टी) चतुर्थी (Sakat Chauth 2022) या तिलकुटा चौथ (Tilkuta Chauth) कहते हैं। इस दिन प्रसाद के रूप में तिलकुट का भोग लगाने के कारण इसे तिलकुटा चौथ और माही चौथ (Mahi Chauth) भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म (Hinduis) में इस चौथ का बड़ा महत्तव है। महिलाओ के लिए काफी महत्तव रखती है।

सकट चतुर्थी (Sakat Chauth) भगवान गणेश की आराधना का पर्व है। इस बार सकट चतुर्थी का व्रत 21 जनवरी को है।इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन सभी माताएं भगवान गणेश का व्रत और पूजन करती हैं। सकट चतुर्थी व्रत के पूजन में काले तिल का विशेष स्थान होता है। सकट चतुर्थी व्रत के दिन इस बार विशिष्ट संयोग का निर्माण हो रहा है जो कि पूजन के लिए विशेष फलदायी है। इस साल सकट चतुर्थी का व्रत 21 जनवरी को रखा जाएगा।

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पंचांग गणना के अनुसार चतुर्थी तिथि 21 जनवरी को सुबह 8:52 बजे से शुरू होगी जो 22 जनवरी को सुबह 9:14 बजे तक रहेगी. सकट चतुर्थी का व्रत (Sankashti Chaturthi 2022) 21 जनवरी को रखा जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल सकट चतुर्थी (Sakat Chauth) का व्रत सौभाग्य योग में शुरू हो रहा है जो 21 जनवरी को 03:05 बजे तक रहेगा। गणेश (God Ganesha) पूजन दिन में करने का विधान है, इस लिए सौभाग्य योग में 03:05 बजे तक पूजन करना शुभ रहेगा। सकट चतुर्थी (Sakat Chauth) तिथि पर व्रत रखने के बाद चंद्रमा का दर्शन अवश्य किया जाता है। ऐसे में 21 जनवरी की रात को सकट चौथ पर चंद्रमा 09 बजकर 05 मिनट पर उदय होंगे। जो महिलाएं सकट चौथ (Sakat Chauth) का व्रत रखेंगी वे पूजा के बाद चंद्रमा के दर्शन करते हुए जल अर्पित करें।

भगवान गणेश की पूजा करने के लिए मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति दोनों होनी चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद लाल वस्त्र पहनकर भगवान गणेश की पूजा (ganesh ji puja) करनी चाहिए। पूजा में गणेश मंत्र का जाप करना बेहद फलदाई बताया गया है। गणेश मंत्र का जाप करते हुए 21 दुर्वा भगवान गणेश को अर्पित करनी चाहिए। पूजा के बाद रात में चांद को अर्घ्य दें फिर फलहार करते हुए व्रत का पारण करें।

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