
सावन में शिव पूजन का विशेष महत्व माना जाता है और इसी मौसम में नाग पंचमी (Nag Panchami) का त्योहार भी मनाया जाता है। नाग पंचमी स्थानीय परंपराओं के अनुसार सभी क्षेत्रों में अलग-अलग महीने में मनाई जाती हैं । परंतु यह राजस्थान (Rajasthan) में श्रावण कृष्ण में मनाई जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन मास (Sawan month) के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी (Nag Panchami) के रूप में मनाया जाता है। नागों को हिन्दू धर्म में अहम स्थान दिया गया है।
भगवान शिव (Lord Shiva) के गले में स्थान पाने वाले नागों की हिन्दू धर्म में पूजा की जाती है। नागों की पूजा का विशेष पर्व नाग पंचमी है। इस बार यह तिथि 13 अगस्त 2021 शुक्रवार को पड़ रही है। नाग पंचमी का त्योहार 13 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 13 अगस्त की सुबह 05 बजकर 48 मिनट से 08 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।


पंडित डॉ. राजेश वशिष्ठ उर्फ चिनिया दास ने बताया कि नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है। इस दिन नाग देवता के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है।
ऐसी मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने और रुद्राभिषेक करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। मान्यता यह भी है कि इस दिन सर्पों की पूजा करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं । प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष हो तो उसे नागपंचमी (Nag Panchami) के दिन भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करनी चाहिए।
नाग पंचमी (Nag Panchami) व्रत विधि
इस व्रत के आराध्य नागदेव माने गए हैं। इस दिन अनंत, वासुकि, महापद्म आदि नाग अष्टकों की पूजा की जाती है। चतुर्थी तिथि के दिन एक बार भोजन करें और पंचमी तिथि के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए। पूजा करने के लिए नाग देवता का चित्र या मिट्टी की सर्प प्रतिमा को लकड़ी की चौकी या पाटे के उपर स्थापित करें। उसके बाद हल्दी, रोली, चावल और पुष्प अर्पित करके नागदेवता की पूजा की जाती है। इसके पश्चात कच्चा दूध, घी और चीनी मिलाकर सर्प देवता को अर्पित किया जाता है। पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती की जाती है। आप इस दिन किसी सपेरे को दक्षिणा आदि देकर दूध सर्प को पिला सकते हैं। इसके बाद नाग पंचमी (Nag Panchami) की कथा जरुर सुननी चाहिए।
नाग पंचमी (Nag Panchami) मंत्र
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिता:॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नम:॥
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शङ्ख पालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायङ्काले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषत:।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
नाग पंचमी (Nag Panchami) का महत्व
धन-समृद्धि पाने के लिए भी नाग देवताओं की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि नाग देवता, धन की देवी मां लक्ष्मी की रक्षा करते हैं। इस दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है तो उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी (Nag Panchami) का व्रत अवश्य करना चाहिए। यदि आपको अक्सर सपने में सांप दिखाई देता है या फिर आपको सांप से अधिक डर लगता है तो आपको विधि-विधान से सांप की पूजा करनी चाहिए। विशेष रूप से नाग पंचमी (Nag Panchami) के दिन जरूर नाग की पूजा करें। इससे सांपों को लेकर आपका भय दूर हो जाएगा।
आलेख:-पंडित डॉ. राजेश वशिष्ठ उर्फ चिनिया दास,
विश्व प्रसिद्ध भविष्य वक्ता गोल्ड मेडलिस्ट, संकल्प टावर खातीपुरा, जयपुर
डिस्क्लेमर: द न्यूज़ वर्ल्ड 24 इस खबर की कोई पुष्टि नहीं करता है, यह खबर सिर्फ पुरानी मान्यताओं पर आधारित है।