रूप चतुर्दशी 2021: यहाँ एक क्षण के लिए पर्वत हो जाता है सोने का! जाने रूप चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त!

रूप चतुर्दशी 2021: यहाँ एक क्षण के लिए पर्वत हो जाता है सोने का! जाने रूप चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त!
रूप चतुर्दशी 2021: यहाँ एक क्षण के लिए पर्वत हो जाता है सोने का! जाने रूप चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त!

छोटी दिवाली या रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi) हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। धनतेरस (Dhanteras) के अगले दिन छोटी दिवाली (Diwali) का पर्व मनाया जाता है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल छोटी दिवाली 3 नवंबर यानी आज है जबकि दिवाली का त्यौहार (Festival) 4 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन घरों में यमराज की पूजा की जाती है। छोटी दिवाली को सौन्दर्य प्राप्ति और आयु प्राप्ति का दिन भी माना जाता है।

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नरक शब्द पौराणिक कथाओं में वर्णित दैत्य राजा नरकासुर से संबंधित है और चतुर्दशी का अर्थ है चौदहवां दिन। नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) वाले दिन मुख्य दीपक लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जलता है। इसको यमदेवता के लिए दीपदान कहते हैं। घर के मुख्य द्वार के बाएं ओर अनाज की ढ़ेरी रखें। इस पर सरसों के तेल का एक मुखी दीपक जलाएं। दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। अब वहां पुष्प और जल चढ़ाकर लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।

पंडित रविंद्र कुमार शर्मा, समोद पर्वत ने बताया कि रूप चौदस (Roop Chaturdashi 2021) को हनुमान जयंती (Hanuman Jaynti) के रूप में भी मनाया जाता है। श्री वीर हनुमान धाम (Shree Veer Hanumaan Dham) सामोद पर्वत ग्राम नांगल भरड़ा में इस दिन विशेष श्रृंगार, चौला श्री बालाजी महाराज को चढ़ाया जाता है। इस दिन मंदिर फूल बंगला झांकी , लाइट डेकोरेशन आदि से बहुत सुन्दर सजावट की जाती है। आज मध्य रात्रि 12 बजे श्री वीर हनुमान जी की विशेष एवं भव्य आरती श्री जगद गुरु रामानंदाचार्य श्री अवध बिहारी देवाचार्य जी महाराज द्वारा की जाएगी।

आरती के पश्चात भगवान को राजभोग अर्पित किया जाएगा। इसके बाद करीब दस से बारह हजार भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन होगा। इस दिन श्री वीर हनुमान जी का पूरा पर्वत लाइट डेकोरेशन एवं दीपक आदि की रोशनी से जगमगा उठता है। मान्यता है कि इस दिन श्री बालाजी समोद पर्वत क्षण मात्र के लिए सोने (स्वर्णसदृश) का हो जाता है।

भक्त गण बहुत दूर दूर से श्री वीर हनुमान जी के दर्शनों के लिए आते है। तन और मन की सुंदरता का वरदान दिलाने वाला यह रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi) अर्थात रूप चौदस (Roop Chodas) का यह पावन पर्व सभी भक्तो के लिए विशेष लाभकारी होता है। रूप चतुर्दशी को यम देवता की विशेष रूप से पूजा की जाती है।

मान्यता है कि इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके यम देवता को दीपदान करने से अकाल मृत्यु की विपदाएं टल जाती है। रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi) आरोग्य की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से तिल के तेल का दीपदान करना चाहिए।

रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi) का शुभ मुहूर्त:

श्री शालिग्राम उपाध्याय वेदाचार्य एवं ज्योतिषाचार्य ( वाराणसी वाले ) श्री वीर हनुमान ऋषि कुल वेद विद्यालय समोद पर्वत ने बताया कि कार्तिक मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी बुधवार को रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi) है। चतुर्दशी को प्रातः उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए। पूरे शरीर में सुंगधित तेल लगाकर स्नान करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन तेल में लक्ष्मी तथा जल में गंगा आदि नदियों का वास होता है। इस दिन प्रदोष काल में यमराज के निमित्त दीपदान करना चाहिए। इस दिन प्रदोष काल सांय 5. 40 से 8. 17 तक है।

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