दिवाली (Diwali) के एक दिन पहले रूप चौदस का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व को छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी, काली चौदस, रूप चतुर्दशी (Roop Chaudas) अथवा नरका पूजा के नामों से भी जाना जाता है। इस साल रूप चौदस 24 अक्टूबर को दिवाली वाले दिन ही मनाई जाएगी। रूप चौदस के दिन संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है।
धार्मिक मान्यता है कि जिस तरह से दिवाली की रात धन की देवी मां लक्ष्मी भूलोक पर आती हैं और साफ सफाई वाले घर में बस जाती हैं, ठीक उसी तरह रूप चौदस (Roop Chaudas) के दिन देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी भूलोक पर आती हैं और जिस घर में साफ सफाई की कमी होती है, उसी घर में बस जाती हैं। मान्यता है कि इसी दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था।
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी निर्मित शाम प्रदोष काल में दीपदान एवं चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी को प्रभात स्नान कर दान आदि करने से मनुष्य को नरक से मुक्ति मिलती है और यमराज प्रसन्न होते हैं।
इस वर्ष दिनांक 23 अक्टूबर रविवार को शाम 6:04 बाद प्रदोष काल में चतुर्दशी आने से नरक चतुर्दशी निर्मित श्याम दीपदान होगा और रूप चतुर्दशी (Roop Chaudas) छोटी दीपावली मनाई जाएगी तथा आगामी अरुणोदय काल में चंद्रोदय के समय भी चतुर्दशी होने से 24 अक्टूबर को सूर्य उदय से पहले स्नान दान कर नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
इस दिन हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल मिलाकर चोला चढ़ाने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म नरक चतुर्दशी के दिन ही हुआ था।
नरक चतुर्दशी (Roop Chaudas) के दिन यम देव के नाम का दीया जलाने के साथ ही सूर्यास्त के बाद घरों के दरवाजे पर दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके रखना चाहिए। इन सभी दीयों को शाम 5 बजकर 27 मिनट से पहले जला दें।
(Disclaimer: इस स्टोरी (लेख) में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं। यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। thenewsworld24 .com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)