रिटायर्ड फौजी ने ‘बेटा- बेटी एक समान’ का दिया सन्देश, अपनी लाडो की बग्गी में निकाली बिंदौरी

बेटा - बेटी एक सामान की विचारधारा के चलते बेटी की निकाली बिंदौरी (Bindori)।
बेटा – बेटी एक सामान की विचारधारा के चलते बेटी की निकाली बिंदौरी (Bindori)।

जयपुर। बेटा – बेटी एक सामान (Beta – Beti Ek Samaan) की विचारधारा अब आमजन में देखने को मिल रही है। परिवार में जितना महत्व बेटे को दिया जाता है उतना ही अब बेटियों को दिया जाने लगा है। चाहे पढाई लिखाई में हो या फिर शादी (Wedding) जैसे मामलों में। लोग अब लड़का लड़की में कोई भेद नहीं करते है।

इसी विचारधारा से जुड़ा एक मामला राजधानी के रेनवाल कस्बे में एक मुस्लिम परिवार में देखने को मिला। परिवार ने कुछ नया कर लड़का-लड़की में भेदभाव को मिटाने का एक उदाहरण पेश किया है। जिसकी कस्बे में खूब चर्चा हो रही है।

HD मेकअप, हेयर स्पा, हेयर स्टाइलिंग, स्किन केयर, मैनीक्योर, आदि करवाना चाहते हो?
जेम्स हर्बल ब्यूटी पार्लर एंड ट्रेनिंग सेंटर
रावत शॉपिंग प्लाजा, चौमूँ , जयपुर
केवल महिलाओं के लिए
AD
जेम्स ब्यूटी पार्लर के बारे में अधिक देखे »

पूर्व फौजी सलाऊद्दीन कायमखानी ने इस भेदभाव को मिटाने का सन्देश आमजन में पहुंचाने के लिए कुछ नया करने की सोची। इसी के चलते परिवार ने बैंड बाजे के साथ अपने बेटी मुस्कान की रथ पर बिंदौरी (Bindori) निकाली। बिंदौरी (Bindori) में परिजन जश्न मानते हुए जमकर नाचे। कुछ महिलाओं ने राजस्थानी आन बान की शान साफा भी अपने सिर पर बाँधा हुआ था। बिंदौरी (Bindori) कस्बे के प्रमुख से होती हुई निकाली गई। इस दौरान दुल्हन के पिता की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा।

दुल्हन (Bride) के पिता रिटायर्ड फौजी सलाऊद्दीन कायमखानी का कहना है कि लडके के जन्म पर ही गाजे-बाजे से जश्न होते थे तथा लड़कियों के जन्म पर कोई खुशी नही होती थी। लेकिन वर्तमान परिवेश में अब लड़किया भी किसी भी क्षेत्र में लड़को से कम नहीं है। लड़किया भी पढ़ लिखकर माता-पिता और परिवार का नाम रोशन कर रही है। ऐसे में समाज में लड़कियों को भी लड़कों के बराबर दर्जा मिलना चाहिए । इसी सोच के साथ बिंदोरी (Bindori) निकाल कर समाज में समानता का संदेश दे रहे है। (विष्णु जाखोटिया की रिपोर्ट )

वीडियो के माध्यम से देखे खबर…

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *