
जयपुर। सोमवार को आयोजित हुई भारतीय किसान यूनियन (BKU) की नवगठित कार्यकारिणी की मीटिंग में कहा गया कि तीन कृषि कानूनों (Agricultural Laws) की वापसी से अधिक बड़ा मुद्दा न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) की गारंटी कानून का है। भारतीय किसान यूनियन की नवगठित कार्यकारिणी की मीटिंग जयपुर रेलवे स्टेशन के समीप राम मंदिर के परिसर के समीप भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव एवं संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisaan Morcha) कोर कमेटी के सदस्य युद्धवीर सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
कार्यकर्ताओं एवं मीडिया को संबोधित करते हुए युद्धविर सिंह ने कहा कि पिछले 8 माह से चल रही किसान आंदोलन (Farmers Protest) के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता एवं निरंकुशता देश के इतिहास में आजादी के उपरांत पहली बार देखी जा रही है। कोई भी लोकतांत्रिक सरकार किसानों व जनता के आंदोलन को इतने लंबे समय तक कुचलने के प्रयास नहीं कर सकती।


इसी दिशा में संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisaan Morcha) नई रणनीति के साथ आगामी 22 जुलाई से प्रतिदिन 200 किसानों के साथ संसद के घेराव की रणनीति पर काम कर रहा है। शीघ्र ही महामारी की परिस्थितियों को देखते हुए संसद मार्च की तैयारी की जाएगी।
प्रदेशाध्यक्ष राजाराम मील ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन (Bhartiye Kisaan Union) की सभी जिलों में कार्यकारिणी का गठन हो चुका है। भारतीय किसान यूनियन प्रदेश में अखिल राजस्थान किसान संगठन की आवश्यकता को पहली बार पूरा किया है और आने वाले दिनों में इस बैनर तले किसानों की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा।
बीकेयू (BKU) के प्रवक्ता प्रोफेसर सी.बी.यादव ने पूरे प्रदेश के किसान कार्यकर्ताओं को बैठक शुभारंभ करते हुए देश के वर्तमान हालात में किसान आंदोलन की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस किसान आंदोलन ने आजादी के बाद पहली बार किसानों की आवाज को इतने बड़े स्तर पर बुलंद किया है।
तीन कृषि कानूनों की वापसी से अधिक बड़ा मुद्दा न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) की गारंटी कानून का है। इसे लेकर पूरे प्रदेश में गांव गांव में जन जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। कार्यकर्ताओं को भारतीय किसान यूनियन (BKU) राजस्थान के महासचिव कै.सी. घुमरिया, युवा अध्यक्ष विक्रम मीणा सहित कई किसान नेताओं ने मीटिंग को संबोधित किया।