
जयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) द्वारा की जा रही जलापूर्ति का पानी की गुणवत्ता ऐसी हो कि लोग आरओ लगाने की बजाय सीधे नल से आने वाला पानी ही पीयें। उन्होंने कहा कि आर.ओ. एवं बोतलबंद पानी से कहीं अधिक फायदेमंद पीएचईड़ी (PHED) द्वारा आपूर्ति किए जाने वाला पेयजल है क्योंकि उसमें सारे जरूरी मिनरल्स होते हैं। इस संबंध में विभाग की ओर से आमजन में जागरूकता पैदा की जाए।
डॉ. अग्रवाल क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा पीएचईड़ी (PHED) के सहयोग से जयपुर (Jaipur) में आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में गुरूवार को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें तकनीकी भाषा की जगह आमजन की समझ में आने वाली भाषा में उन्हें समझाना होगा ताकि लोगों की आपूर्ति के पानी की बेहतर गुणवत्ता के बारे में जागरूक किया जा सके। पानी सही एवं गुणवत्ता युक्त है यह बात हमें आसान तरीके से लोगों को बतानी होगी।


अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि जल जीवन मिशन में पिछले तीन साल से हजारों करोड़ रूपए खर्च कर पूरे देश में ग्रामीण घरों तक नल के माध्यम से पीने योग्य पानी पहुंचाया जा रहा है। लोगों के घरों तक पहुंचने वाले इस पानी की गुणवत्ता यदि बरकरार नहीं रही तो राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा जेजेएम में किए जा रहे हजारों करोड़ रूपए के इस व्यय की कोई उपयोगिता नहीं रह जाएगी। एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं एवं हमारे रसायनज्ञों की यह जिम्मेदारी है कि पेयजल की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं हो।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा दिए जा रहे एनएबीएल सर्टिफिकेट प्राप्त लैब द्वारा की गई पानी की गुणवत्ता जांच पूरे देश में मान्य है। लोगों का यह भरोसा क्वालिटी काउंसिल ने वर्षों की मेहनत से कमाया है। उन्होंने कहा कि क्वालिटी काउंसिल, बीआईएस एवं अन्य संस्थाओं द्वारा जारी किए जाने वाले सर्टिफेकेट में आईएसओः9000, आईएसओः10000 जैसे मापदण्ड आमजन की समझ में नहीं आते हैं। विभिन्न मापदण्डों को हमें आसान बनाना होगा। मार्का ऐसा होना चाहिए ताकि आम आदमी को यह आसानी से समझ में आए।
उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अभियंता (शहरी) केडी गुप्ता ने कहा कि आज के दौर में हमें नवाचारों एवं विकासवादी सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि दो दिवसीय ट्रेनिंग कार्यक्रम में सीखी गई बातें रसायनज्ञों के लिए काफी लाभदायक होंगी।
वॉटर क्वालिटी एक्सपर्ट डॉ. भावना त्रिवेदी ने वाटर क्वालिटी बरकरार रखने में आ रही चुनौतियां एवं वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग पैरामीटर्स पर प्रतिभागियों को जानकारी दी। मुख्य रसायनज्ञ एच एस देवन्दा ने बताया कि एनएबीएल अप्रूव्ड लैब में सैम्पल जांच के परिणाम एक्यूरेट होते हैं। इससे प्रमाणिकता में वृद्धि होती है और पेयजल गुणवत्ता में सुधार होता है।
इस अवसर पर क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के ट्रेनिंग एवं कैपेसिटी बिल्डिंग सेल के डायरेक्टर आलोक जैन ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, पीएचईड़ी (PHED) डॉ. सुबोध अग्रवाल को काउंसिल के 25 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रकाशित कॉफी टेबल बुक भेंट की। उन्होंने पेयजल गुणवत्ता जांच के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी। यूनिसेफ के वॉश ऑफिसर नानक संतदासानी ने कहा कि पानी की गुणवत्ता बनाए रखने में राजस्थान का कार्य देशभर में काफी अच्छा कार्य कर रहा है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहले दिन रसायनज्ञों को जल गुणवत्ता प्रबंधन के गुर सिखाए गए। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने की जिम्मेदारी संभालने वाले रसायनज्ञों एवं लैब असिस्टेंट्स को विभिन्न तकनीकों के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है।