Agriculture Bill: सैकड़ों किसानों ने कृषि विधेयकों के विरोध में प्रदर्शन किया

सैकड़ों किसानों ने कृषि विधेयकों (Agriculture Bill) के विरोध में  प्रदर्शन किया
सैकड़ों किसानों ने कृषि विधेयकों (Agriculture Bill) के विरोध में प्रदर्शन किया
  • सरकार के तीन कृषि विधेयकों (Agriculture Bill) के विरोध में प्रदर्शन.
  • प्रोफ़ेसर सी.बी.यादव के नेतृत्व में चौमूं कृषि उपज मंडी में व्यापक विरोध प्रदर्शन.
  • दिल्ली में आंदोलनरत किसानों का साथ देने के लिए किसानों का जत्था रवाना हुआ.

जयपुर। जिले के चौमूं कृषि उपज मंडी में शनिवार को जय किसान आंदोलन के बैनर तले राजस्थान विश्वविद्यालय के सह. प्रोफेसर सी.बी.यादव के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने चौमूं कृषि उपज मंडी में केंद्र सरकार के तीन कृषि विधेयकों (Agriculture Bill) के विरोध में जबरदस्त प्रदर्शन किया एवं किसानों का एक बड़ा जत्था दिल्ली में आंदोलनरत किसानों का साथ देने के लिए रवाना हुआ। विरोध प्रदर्शन में किसानों के साथ साथ कृषि उपज मंडी के व्यापारियों एवं युवा किसानों की भी अभूतपूर्व भागीदारी रही।

तीन कृषि कानून (Agriculture Law) वापस लो, किसानों का दमन बंद करो:

प्रदर्शन कर रहे किसान हाथ में तीन कृषि कानून (Agriculture Law) वापस लो, किसानों का दमन बंद करो की तख्तियां लेकर नारेबाजी कर रहे थे। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे प्रो.सी. यादव ने बताया कि एक और कोरोना महामारी के संकट ने किसानों की कमर तोड़ दी तो दूसरी ओर जहां सरकार से किसानों को इस संकट के दौरान राहत की उम्मीद थी उसके स्थान पर सरकार ने ऊपर से तीन काले कृषि कानून थोप दिए। जिसके माध्यम से किसान हित के लिए बनाई गई सरकारी मंडी व्यवस्था एपीएमसी समाप्त हो जाएगी एवं खेती की उत्पादन, विपणन एवं वितरण प्रणाली में पूरी तरह निजी कॉरपोरेट का नियंत्रण स्थापित हो जाएगा।

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उन्होंने इसके पीछे मुख्य साजिश किसानों को खेती से निकाल कर सस्ते श्रमिको में तब्दील करना बताया क्योंकि ऐसा पहले बिहार में वर्ष 2006 में ही किया जा चुका है। जहां कृषि मंडी समाप्त करने का परिणाम यह रहा कि बिहार का संपूर्ण किसान सस्ते श्रम में तब्दील हो गया। केंद्र सरकार का बार-बार दावा है कि इससे एमएसपी व्यवस्था समाप्त नहीं हो रही है तो क्यों नहीं केंद्र सरकार एक चौथा कृषि कानून (Agriculture Law) लाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य को गारंटी बनाने वाला कानून ला देवें। किसानों के प्रदर्शन का जिस प्रकार से सरकार ने दमन किया है वह सरकार की तानाशाही मानसिकता को प्रदर्शित करता है।

इसीलिए राजस्थान के 40 किसान संगठनों ने मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे आंदोलन में शरीक होने का निर्णय लिया है। जय किसान आंदोलन, जयपुर जिला अध्यक्ष विमल कुमार यादव ने बताया कि आगे शाजापुर में राजस्थान के सभी किसान मिलकर पैदल मार्च करता हुआ किसान आंदोलन में शरीक होगा। उन्होंने कहा कि रास्ते में अगर सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न की जाएगी तो उसका डटकर सामना किया जाएगा।

धीरे-धीरे सरकारी मंडिया स्वतः ही समाप्त हो जाएगी:

चौमूं कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष महेश जिंदल ने भी अपने व्यापार प्रतिनिधियों के साथ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। उन्होंने बताया इन कृषि कानूनों (Agriculture Law) में निजी कृषि मंडियों को कर मुक्त रखा गया है। जबकि सरकारी मंडियों में कर देना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में धीरे-धीरे सरकारी मंडिया स्वतः ही समाप्त हो जाएगी तथा किसानों को मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी।

प्रदर्शन में प्रगतिशील किसान संगठन के अध्यक्ष चौधरी नरेंद्र कुमार, जय किसान आंदोलन की युवा प्रभारी योगेश जांगिड़, चौमूं सब्जी मंडी व्यापार संघ के अध्यक्ष एवं पूर्व सरपंच जस्सा राम, निवाणा पूर्व सरपंच रामेश्वर सिंह यादव, छात्र नेता बनवारी शर्मा, अजय भारती, रवि सैनी,रजत गोठवाल, महेश सैनी, प्रभु दयाल यादव सहित कई प्रमुख गणमान्य उपस्थित रहे।

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