वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) के उमराहा में स्वर्वेद महामंदिर (Swaraveda Mahamandir) का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री (Prime Minister) ने महर्षि सदाफल देव जी महाराज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और मंदिर परिसर का भ्रमण किया।
उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज उनकी काशी यात्रा (Kashi Yatra) का दूसरा दिन है। काशी में बिताया गया हर पल अभूतपूर्व अनुभवों से भरा रहा है। दो साल पहले अखिल भारतीय विहंगम योग संस्थान के वार्षिक समारोह का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री (Prime Minister) ने इस वर्ष के शताब्दी समारोह का हिस्सा बनने का अवसर प्राप्त होने पर आभार व्यक्त किया और कहा कि विहंगम योग साधना ने अपनी सौ वर्षों की अविस्मरणीय यात्रा पूरी की है।उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया कि महायज्ञ की प्रत्येक आहुति विकसित भारत के संकल्प को मजबूत बनाएगी। उन्होंने महर्षि सदाफल देव जी की प्रतिमा के समक्ष शीश झुकाया और उनके दर्शन को आगे बढ़ाने वाले सभी संतों को भी सम्मान दिया।
प्रधानमंत्री (Prime Minister) ने काशी के कायाकल्प में सरकार, समाज और संत समाज के सामूहिक प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “स्वर्वेद महामंदिर भारत की सामाजिक और आध्यात्मिक ताकत का एक आधुनिक प्रतीक है।” प्रधानमंत्री ने इस मंदिर की सुंदरता और आध्यात्मिक समृद्धि का उल्लेख करते हुए इसे ‘योग और ज्ञान तीर्थ’ बताया।
प्रधानमंत्री (Prime Minister) ने इस बात पर जोर दिया कि यह भारत की आस्था के प्रतीक ही थे जिन्हें विदेशी आक्रमणकारियों ने निशाना बनाया था और स्वतंत्रता के बाद इन्हें पुनर्जीवित करने की आवश्यकता थी। किसी की विरासत पर गर्व न करने के पीछे छिपी विचार प्रक्रिया पर खेद जताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे प्रतीकों के पुनरुद्धार से देश की एकता मजबूत होती है। उन्होंने सोमनाथ मंदिर का उदाहरण दिया जो आजादी के बाद दशकों तक उपेक्षित रहा। मोदी ने कहा, इससे देश में हीनता की भावना पैदा हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि समय का चक्र आज फिर घूम गया है। आज भारत अपनी विरासत पर गर्व कर रहा है और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का शंखनाद कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सोमनाथ में जो काम शुरू हुआ था वह अब एक पूर्ण अभियान में बदल गया है। उन्होंने इस बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर, महाकाल महालोक, केदारनाथ धाम और बुद्ध सर्किट के उदाहरण दिए। उन्होंने राम सर्किट पर चल रहे काम का भी उल्लेख किया और कहा कि जल्द ही अयोध्या में राम मंदिर का भी उद्घाटन होने वाला है।
प्रधानमंत्री (Prime Minister) ने बेहतर कनेक्टिविटी का विवरण देते हुए कहा कि अब बनारस का अर्थ – आस्था, स्वच्छता और परिवर्तन के साथ विकास और आधुनिक सुविधाएं है। उन्होंने सड़कों की 4-6 लेनिंग, रिंग रोड, रेलवे स्टेशन का उन्नयन, नई ट्रेनें, समर्पित माल ढुलाई गलियारा, गंगा घाटों का नवीनीकरण, गंगा क्रूज, आधुनिक अस्पताल, नई और आधुनिक डेयरी, गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती, युवाओं के लिए प्रशिक्षण संस्थान और सांसद रोज़गार मेलों के माध्यम से नौकरियों का उल्लेख किया।
आध्यात्मिक यात्राओं को और अधिक सुलभ बनाने के लिए आधुनिक विकास की भूमिका का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री ने स्वर्वेद मंदिर की उत्कृष्ट कनेक्टिविटी का उल्लेख किया जो वाराणसी शहर के बाहर स्थित है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बनारस आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरेगा, जिससे आसपास के गांवों में व्यापार और रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
प्रधानमंत्री (Prime Minister) ने आजादी के अमृत काल में अपने संकल्पों को आगे बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने 9 संकल्प रखे और लोगों से उनका अनुपालन करने का आग्रह किया। सबसे पहले प्रधानमंत्री (Prime Minister) ने पानी बचाने और जल संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करने का उल्लेख किया। दूसरा- डिजिटल लेनदेन के बारे में जागरूकता पैदा करना। तीसरा- गांवों, मोहल्लों और शहरों में स्वच्छता के प्रयासों को बढ़ाना। चौथा- भारत में बने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और उनका उपयोग करना। पांचवां- भारत की यात्रा और अन्वेषण। छठा- किसानों के बीच प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूकता बढ़ाना। सातवां- मोटे अनाज या श्री अन्न को अपने दैनिक जीवन में शामिल करना। आठवां- खेल, फिटनेस या योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाना और अंत में भारत से गरीबी मिटाने के लिए कम से कम एक गरीब परिवार की सहायता करना।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री (Chief Minister) योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र नाथ पांडे, सद्गुरु आचार्य स्वतंत्रदेव महाराज और संत प्रवर विज्ञानदेव महाराज उपस्थित थे।