दिवाली 2020: दिवाली पर कहां और कितने दीपक जलाए, लक्ष्मी पूजा की विधि

दिवाली पर कहां और कितने दीपक जलाए, लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja) की विधि
दिवाली पर कहां और कितने दीपक जलाए, लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja) की विधि

कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाते हैं। इस साल दिवाली का त्योहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा। दिवाली का त्योहार हर तरफ अंधकार को मिटाकर उजाला करने का होता है। दिवाली पर हर तरफ रोशनी ही रोशनी नजर आती है।



आज के समय में लोग दीपों से ज्यादा लाइट को महत्व देते हैं, लेकिन परंपरगत रूप से दिवाली की रात में तेल और घी के दीपक ही जलाना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन से ही दीपक जलाना आरंभ कर दिया जाता है। दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Pujan) के पश्चात घरों में घी या तेल के बहुत सारे दिए जलाकर प्रकाश करने की परंपरा है। दिवाली पर दिए जलाने का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है। तो चलिए जानते हैं कहां और कितने दीपक जलाने चाहिए।

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कहां और कितने दीपक जलाने चाहिए:

दिवाली के दिन पहला दीपक मां लक्ष्मी (Lakshmi) का समक्ष जलाया जाता है। लक्ष्मी जी के सामने पीतल या किसी अन्य धातु का जलाया जा सकता है। उसके बाद पांच मिट्टी के दीपकों में गाय का घी डालकर उसे पूजा स्थान पर घर के कुलदेवी-देवताओं के लिए रखना चाहिए।

मां लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) के सामने दीपक जलाने के पश्चात दूसरा दीपक मंदिर में जलाकर रख दें। उसके बाद तीसरा दीपक तुलसी के पौधे में जलाने से आरंभ करें और एक दीपक तुलसी में जलाएं। तुलसी में दीपक जलाने के पश्चात दरवाजे को दोनों ओर दीपक जलाकर रखें। दरवाजे पर दीपक जलाने के पश्चात पांचवा दीपक पीपल के वृक्ष के नीचे एक दिया जलाकर रखें।

क्रमानुसार छठा दीपक पास के किसी देवस्थान पर प्रज्वलित करें।एक दीपक जहां आपका कूड़ा रखा जाता है, वहां पर रखें। यहां पर भी दिया रखना आवश्यक होता है। आठवें दीपक को अपने बाथरुम के किसी कोने में रखें। नौंवे दीपक को अपने घर की मुंडेर पर जरुर रखें।दस नंबर के दीपक को अपने घर की गैलरी या बाहरी दीवार पर रखें।

ग्याहरवें दीपक को अपने घर की खिड़की पर जलाएं।बारहवें दीपक को जलाकर अपने घर की छत पर रख दें। तेरहवें दीपक को किसी चौराहे पर जलाकर रख आएं। चौंदहवे दीपक को अपने पितरों के लिए रखना चाहिए। अगर आपने गाय आदि पाल रखी है तो पंद्रहवें दीपक को गौशाला में जलाकर रखें। इन सभी जगहों पर दीपक प्रज्वलित करने के पश्चात अपनी इच्छानुसार दीपक जलाकर अपने घर को रोशन करें।


दिवाली पर कब करें लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja):

देवी लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त) में किया जाना चाहिए। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है। इस दौरान जब वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि लग्न में उदित हों तब माता लक्ष्मी (Lakshmi) का पूजन किया जाना चाहिए। क्योंकि ये चारों राशि स्थिर स्वभाव की होती हैं। मान्यता है कि अगर स्थिर लग्न के समय पूजा की जाये तो माता लक्ष्मी अंश रूप में घर में ठहर जाती है।

महानिशीथ काल के दौरान भी पूजन का महत्व है लेकिन यह समय तांत्रिक, पंडित और साधकों के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है। इस काल में मां काली की पूजा का विधान है। इसके अलावा वे लोग भी इस समय में पूजन कर सकते हैं, जो महानिशिथ काल के बारे में समझ रखते हों।


दिवाली पर लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja) की विधि:

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष विधान है। इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। इस दौरान जो घर हर प्रकार से स्वच्छ और प्रकाशवान हो, वहां वे अंश रूप में ठहर जाती हैं इसलिए दिवाली पर साफ-सफाई करके विधि विधान से पूजन करने से माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja) के साथ-साथ कुबेर पूजा भी की जाती है।

पूजन के दौरान इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Pujan) से पहले घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में वातावरण की शुद्धि और पवित्रता के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। साथ ही घर के द्वार पर रंगोली और दीयों की एक शृंखला बनाएं।
  2. पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति रखें या दीवार पर लक्ष्मी जी का चित्र लगाएं। चौकी के पास जल से भरा एक कलश रखें।
  3. माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति पर तिलक लगाएं और दीपक जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें और माता महालक्ष्मी (Goddess MahaLakshmi) की स्तुति करें।
  4. इसके साथ देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करें।
  5. महालक्ष्मी पूजन (MahaLakshmi Pujan) पूरे परिवार को एकत्रित होकर करना चाहिए।
  6. महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरण की पूजा करें।
  7. पूजन के बाद श्रद्धा अनुसार ज़रुरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा दें।

दिवाली पर क्या करें?

  1. कार्तिक अमावस्या यानि दीपावली के दिन प्रात:काल शरीर पर तेल की मालिश के बाद स्नान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन की हानि नहीं होती है।
  2. दिवाली के दिन वृद्धजन और बच्चों को छोड़कर् अन्य व्यक्तियों को भोजन नहीं करना चाहिए। शाम को महालक्ष्मी पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
  3. दीपावली पर पूर्वजों का पूजन करें और धूप व भोग अर्पित करें। प्रदोष काल के समय हाथ में उल्का धारण कर पितरों को मार्ग दिखाएं। यहां उल्का से तात्पर्य है कि दीपक जलाकर या अन्य माध्यम से अग्नि की रोशनी में पितरों को मार्ग दिखायें। ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  4. दिवाली से पहले मध्य रात्रि को स्त्री-पुरुषों को गीत, भजन और घर में उत्सव मनाना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में व्याप्त दरिद्रता दूर होती है।

दिवाली का ज्योतिष महत्व:

हिंदू धर्म में हर त्यौहार का ज्योतिष महत्व होता है। माना जाता है कि विभिन्न पर्व और त्यौहारों पर ग्रहों की दिशा और विशेष योग मानव समुदाय के लिए शुभ फलदायी होते हैं। हिंदू समाज में दिवाली का समय किसी भी कार्य के शुभारंभ और किसी वस्तु की खरीदी के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस विचार के पीछे ज्योतिष महत्व है।


दीपावली का आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूप से विशेष महत्व है। हिंदू दर्शन शास्त्र में दिवाली को आध्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई का उत्सव कहा गया है। हम आशा करते हैं कि दिवाली का त्यौहार आपके लिए मंगलमय हो। माता लक्ष्मी (Lakshmi) की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और आपके जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आए।

( -पंडित डॉ. रविंद्राचार्य, तारा ज्योतिष साधना केंद्र जयपुर -चौमूं- खाटूश्यामजी)

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