
दीपावली भारतवर्ष में मनाया जाने वाला हिंदूओं का एक ऐसा पर्व है जिसके बारे में लगभग सब जानते हैं। हिंदू धर्म में दिवाली (Diwali) के त्योहार का विशेष महत्व है। प्रभु श्री राम की अयोध्या वापसी पर लोगों ने उनका स्वागत घी के दिये जलाकर किया। अमावस्या की काली रात भी घी के दीपकों से रोशन हो गई। अज्ञानता के अंधकार को समाप्त कर ज्ञान का प्रकाश हर और फैलने लगा। इसलिये दिवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है।
यह जीवन में ज्ञान रुपी प्रकाश को लाने वाला है तो वहीं सुख-समृद्धि की कामना के लिये भी दिवाली से बढ़कर कोई त्यौहार नहीं होता । दिवाली (Diwali) पर लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार दिवाली के साथ-साथ ही मनाये जाते हैं। सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक हर लिहाज से दिवाली बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है।


हालांकि पूरी दुनिया में दिवाली से मिलते जुलते त्यौहार अलग-अलग नामों से मनाये जाते हैं लेकिन भारतवर्ष में विशेषकर हिंदूओं में दिवाली (Diwali) का त्यौहार बहुत मायने रखता है।
दिवाली (Diwali) और लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja):
माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिये इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। घर में सुख-समृद्धि बनी रहे और मां लक्ष्मी स्थिर रहें । इसके लिये दिनभर मां लक्ष्मी का उपवास रखने के उपरांत सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न (वृषभ लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है) में मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिये। लग्न व मुहूर्त का समय स्थान के अनुसार ही देखना चाहिये। हालांकि इस साल धनतेरस, नरक चतुर्दशी और दिवाली की तिथियों को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन है।
दिवाली (Diwali) पर्व तिथि व मुहूर्त 2020:
दिवाली की तिथि: 14 नवंबर
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 17:28 से 19:23
- प्रदोष काल- 17:23 से 20:04
- वृषभ काल- 17:28 से 19:23
- अमावस्या तिथि आरंभ- 14:17 (14 नवंबर)
- अमावस्या तिथि समाप्त- 10:36 (15 नवंबर)
लक्ष्मी पूजा 2020 चौघड़िया मुहूर्त:
- दोपहर: (लाभ, अमृत) 14 नवंबर की दोपहर 02:17 से शाम को 04:07 तक।
- शाम: (लाभ) 14 नवंबर की शाम को 05:28 से शाम 07:07 तक।
- रात्रि: (शुभ, अमृत, चल) 14 नवंबर की रात्रि 08:47 से देर रात्रि 01:45 तक।
- प्रात:काल: (लाभ) 15 नवंबर को 05:04 से 06:44 तक।
व्यापारिक प्रतिष्ठान पूजा मुहूर्त:
- सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त अभिजित: दोपहर 12:09 से शाम 04:05 तक।
गृहस्थों के लिए लक्ष्मी पूजा 2020 मुहूर्त:
- सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:49 से 6:02 बजे तक।
- प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:33 से रात्रि 8:12 तक।
- वृषभ काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से रात्रि 7:24 तक।
- सिंह लग्न मुहूर्त: 14 नवंबर की मध्य रात्रि 12:01 से देर रात 2:19 तक।
छोटी और बड़ी दिवाली (Diwali) एक ही दिन:
इस बार छोटी और बड़ी दिवाली एक ही दिन पड़ रहा है । दरअसल कार्तिक मास की त्रयोदशी इस साल 13 नवंबर की है और छोटी और बड़ी दिवाली (Diwali) 14 नवंबर की हैं.15 नवंबर को गोवर्धन पूजा होगी और अंतिम दिन 16 नवंबर को भाई दूज या चित्रगुप्त जयंती मनाई जाएगी । इस बार पंचांग के अनुसार घटती-बढ़ती तिथियों के कारण ऐसा हो रहा है। इस साल कार्तिक मास की अमावस्या 14 नवंबर 2020 को पड़ रही है. वहीं, 14 नवंबर की दोपहर दो बजकर 18 मिनट तक नरक चतुर्दशी तिथि रहेगी, इसके बाद अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी । अमावस्या तिथि 14 नवंबर से प्रारंभ होकर दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से अगले दिन 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। ऐसे में दिवाली 14 नवंबर को मनाई जाएगी।
14 नवंबर को ही किया जाएगा महालक्ष्मी पूजन (Mahalaxmi Pujan):
मान्यता है कि दीपावली अमावस्या तिथि की रात और लक्ष्मी पूजन अमावस्या की शाम को होता है। इसलिए 14 नवंबर को ही महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा। अमालस्या तिथि अगले दिन 15 नवबर की सुबह 10 बजे तक रहेगी, इसके अलावा धनतेरस त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर 2020 की रात 09 बजकर 30 बजे से लग रही है और 13 नवंबर तक रहेगी. लक्ष्मी पूजन शाम 5 बजे से 7 बजे तक किया जा सकता है ।
धनतेरस 2020 :
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस (Dhanteras 2020) का त्योहार मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 13 नवंबर को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, त्रयोदशी 12 नवंबर की शाम से लग जाएगी। ऐसे में धनतेरस की खरीदारी 12 नवंबर को भी की जा सकेगी। हालांकि उदया तिथि में त्योहार मनाया जाता है। ऐसे में धनतेरस 13 नवंबर को मनाया जाएगा।
छोटी दिवाली 2020 (नरक चतुर्दशी):
इस साल छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी 14 नवंबर को मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी पर स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5:23 से सुबह 6:43 बजे तक रहेगा। चतुर्दशी तिथि 14 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 16 मिनट तक ही रहेगी। इसके बाद अमावस्या लगने से दिवाली (Diwali) भी इसी दिन मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा व भाईदूज (Bhaidooj 2020):
15 नवंबर 2020 को गोवर्धन पूजा होगी और अंतिम दिन 16 नवंबर को भाईदूज या चित्रगुप्त जयंती मनाई जाएगी। दरअसल इस बार हिंदी पंचांग के अनुसार द्वितीय तिथि नहीं है जिसके कारण तिथि घट रही हैं।