Guru Poornima 2021: वीर हनुमान धाम में शिष्यों ने की गुरु की पूजा, गुरु मंत्र के साथ लिया आशीर्वाद

शुक्रवार को गुरु पूर्णिमा (Guru Poornima) के अवसर पर समोद पर्वत स्थित वीर हनुमान धाम पर गुरु चरण वंदन कार्यक्रम संपन्न हुआ।
शुक्रवार को गुरु पूर्णिमा (Guru Poornima) के अवसर पर समोद पर्वत स्थित वीर हनुमान धाम पर गुरु चरण वंदन कार्यक्रम संपन्न हुआ।

जयपुर। भारतीय सनातन परंपरा में गुरु (Guru) का स्थान ईश्वर के समक्ष माना गया है। मानव को गुरु ही ऐसी राह दिखाता है जिस पर चलकर वह अपने जीवन का निर्वहन करता है। उसी गुरु को याद करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसी के चलते शुक्रवार को गुरु पूर्णिमा (Guru Poornima) के अवसर पर चौमूं क्षेत्र के कई स्थानों पर गुरु (Guru) चरण वंदन कार्यक्रम संपन्न हुए।

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“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः ।।” मंत्र की गूंज के साथ शुक्रवार को शिष्यो ने अपने गुरु के चरणों में शीश नवाया और आशीर्वाद प्राप्त किया। कुछ नए शिष्यों ने इस दिन अपने लिए योग्य गुरु को भी चुना, तो गुरु ने भी अपने नए शिष्यो को गुरु मंत्र दिया।

समोद पर्वत स्थित वीर हनुमान धाम (Veer Hanuman Dham) पर महंत जगद्गुरु अवध बिहारी देवाचार्य के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा (Guru Poornima) महोत्सव में भाग लेने दूरदराज के क्षेत्रों से गुरु भक्त गुरुधाम पहुंचे। सर्वप्रथम जगत गुरुदेव आचार्य ने अपने गुरु गंगा दास जी महाराज के चरण पादुका की पूजा अर्चना कर पूजन षोडशोपचार विधि से किया, उन्होंने कहा कि गुरु अंधेरे को मिटाने वाला, गुरु आत्मा से परमात्मा का मिलन कराने वाला वह माध्यम है जिसके बिना यह मिलन आसान नहीं।

इस अवसर पर महंत देवाचार्य ने कहा कि गुरु पूजा का यह अर्थ नहीं कि फल फूल नैवेध लेकर धूप दीप का थाल सजाकर बैठ गए और गुरु की आरती उतारने लगे। यह तो ब्रह्म पूजा है, वास्तविक पूजा है, जो गुरु की आज्ञा है। उसका पालन करना, गुरु के उपदेशों का जीवन में आचरण करना है।

कौन होते हैं गुरु ? क्या करते हैं गुरु? क्यों बनाए जाते हैं गुरु ?

पहली बात गुरु में ‘गू’ का अर्थ है अहंकार और ‘रू’ का अर्थ है रोकने वाला। जो ज्ञान रूपी अंधकार को रोकते हैं. वे गुरु कहलाते हैं। उन्होंने महाभारत (Mahabharat) के प्रसंगों का उदाहरण देते हुए बताया कि प्रथम गुरु व्यास है इसलिए आज के दिन को व्यास पूर्णिमा (Vyas Poornima) भी कहा जाता है।

इस मौके पर भक्तजनों ने गुरु महाराज के भेंट स्वरूप पांचों कपड़े, श्रीफल, पुष्पमाला श्रद्धा अनुसार भेंट कर गुरु पूजन किया। इसी के साथ गुरु शिष्य के बीच आदर, समर्पण व स्नेह का पर्व गुरु पूर्णिमा (Guru Poornima) को श्रद्धा के साथ, विभिन्न संप्रदायों के गुरुजनों का श्रद्धा के साथ पूजन किया गया।

इसी क्रम में महामाया खोल सामोद (Mahamaya Khol Samod) के श्री राधा माधव मंदिर (Radha Madhav Temple) परिसर स्थित परमहंस सुंदर दास महाराज के आश्रम में महंत कृष्ण दास महाराज के सानिध्य में गुरु पूर्णिमा (Guru Poornima) कार्यक्रम हुए। सामोद स्थित खेड़ापति आश्रम (Khedapati Ashram) में महामंडलेश्वर प्रेमदास महाराज के सानिध्य में कार्यक्रम हुआ। नरसिम्हा मंदिर के महंत रामेश्वर दास महाराज व महार कला स्थित प्राचीन मालेश्वर धाम (Maleshwar Dham) मंदिर में पुजारी (Priest) महेश व्यास के, गोळ्यावाला स्थित प्रसिद्ध नागा आश्रम (Naga Ashram) पर महंत सागर पुरी महाराज के सानिध्य में दत्तात्रेय भगवान की पूजा अर्चना व समाधि की पूजा अर्चना की गई।

सभी स्थानों पर गुरु पूर्णिमा (Guru Poornima) पर्व सादगी के साथ व कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए मनाया गया।

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