हिन्दू धर्म (Hindu Religon) में गाय को माता के रूप में माना गया है। गोपाष्टमी 11 नवंबर 2021 (Gopashtami 2021) को मनाई जायेगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। गाय की सेवा से पुण्यफल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन पूरे मन से गौ-माता की आराधना करने से जातकों की हर मनोकामना पूरी होती है।
जो लोग गौ माता की प्रतिदिन पूजन नही कर सकते हैं वे गोपाष्टमी के दिन पूजन (Gopashtami Pujan) अवश्य करें और इस शुभ दिन पर गौ रक्षा की शपथ लेवें।
दिनांक: 10 नवंबर, 2021
अष्टमी तिथि प्रारंभ – 06:49 पूर्वाह्न 10 नवंबर, 2021
अष्टमी तिथि समाप्त – 05:51 पूर्वाह्न 11 नवंबर, 2021
गोपाष्टमी (Gopashtami) कैसे शुरू हुई उसके पीछे एक पौराणिक कथा हैं। किस प्रकार भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं में गौ माता की सेवा की उसका वर्णन भी इस कथा में हैं। गोपाष्टमी पर्व (Festival) से जुडी कई कथाये प्रसिद्ध है, जो इस प्रकार है…
पहली कथा है कि कहा जाता है कृष्ण जी ने अपनी सबसे छोटी ऊँगली से गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था, जिसके बाद से उस दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। उसके बाद ब्रज में इंद्र का प्रकोप इस तरह बरसा की लगातार बारिश होती रही, जिससे ग्रामीणों को बचाने के लिए कृष्ण जी ने 7 दिन तक पर्वत को अपनी एक ऊँगली पर उठाये रखा था। गोपाष्टमी (Gopashtami 11 November ) के दिन ही भगवान् इंद्र ने अपनी हार स्वीकार की थी, जिसके बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत नीचे रखा था।
दूसरी कथा जब कृष्ण भगवान (God Krishana) ने अपने जीवन के छठे वर्ष में कदम रखा। तब वे अपनी मैया यशोदा से जिद्द करने लगे कि वे अब बड़े हो गये हैं और बछड़े को चराने के बजाय वे गैया चराना चाहते हैं। उनके हठ के आगे मैया को हार माननी पड़ी और मैया ने उन्हें अपने पिता नन्द बाबा के पास इसकी आज्ञा लेने भेज दिया। भगवान कृष्ण ने नन्द बाबा के सामने जिद्द रख दी, कि अब वे गैया ही चरायेंगे। नन्द बाबा ने गैया चराने के लिए पंडित महाराज को मुहूर्त निकालने के लिए कह दिया। पंडित बाबू ने पूरा पंचाग देख लिया और बड़े अचरज में आकर कहा कि अभी इसी समय के आलावा कोई शेष मुहूर्त नही हैं अगले बरस तक।
शायद भगवान की इच्छा के आगे कोई मुहूर्त क्या था। वह दिन गोपाष्टमी (Gopashtami) का था। जब श्री कृष्ण ने गैया पालन शुरू किया। उस दिन माता ने अपने कान्हा को बहुत सुन्दर तैयार किया। मौर मुकुट लगाया, पैरों में घुंघरू पहनाये और सुंदर सी पादुका पहनने को दी, लेकिन कान्हा ने वे पादुकायें नहीं पहनी। उन्होंने मैया से कहा अगर तुम इन सभी गैया को चरण पादुका पैरों में बांधोगी, तब ही मैं यह पहनूंगा। मैया ये देख भावुक हो जाती हैं और कृष्ण बिना पैरों में कुछ पहने अपनी गैया को चारण के लिए ले जाते।
इस प्रकार कार्तिक शुक्ल पक्ष के दिन से गोपाष्टमी (Gopashtami) मनाई जाती हैं। भगवान कृष्ण के जीवन में गौ का महत्व बहुत अधिक था। गौ सेवा के कारण ही इंद्र ने उनका नाम गोविंद रखा था। भगवान कृष्ण ने गाय के महत्व को सभी के सामने रखा। स्वयं भगवान ने गौ माता की सेवा की।