Laparoscopic Surgery: लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा महिलाओं को मिल रही है नई ज़िदगी, खास मुलाकात डॉ. दीपिका बराला से

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery) द्वारा महिलाओं को मिल रही है नई ज़िदगी, खास मुलाकात डॉ. दीपिका बराला से। (फाइल फोटो )
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery) द्वारा महिलाओं को मिल रही है नई ज़िदगी, खास मुलाकात डॉ. दीपिका बराला से। (फाइल फोटो )

जयपुर। आज दुनिया काफी तेजी से प्रगति कर रही है एवं दिन-प्रतिदिन बदल रही है। ठीक इसी तरह चिकित्सा क्षेत्र भी निरंतर प्रगति कर रहा है एवं बदल रहा है। महिलाओ को जीवन में बहुत सारी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याए से होकर गुजरना पड़ता है। कुछ बीमारियां का इलाज जीवनपर्यन्त चलता है तो कुछ का इलाज लघु समय के लिए। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery) द्वारा बहुत सारी महिलाओं को नई ज़िदगी मिल रही है। इसके बावजूद कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं, जो इस सर्जरी का लाभ नहीं उठा पाती हैं क्योंकि उन्हें इसकी पूर्ण जानकारी नहीं होती है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery) के बारे में द न्यूज़ वर्ल्ड 24 (The News World 24) संवाददाता ने स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपिका बराला (Dr. Deepika Barala) से इस विषय पर विस्तार से बात की…

संवाददाता : दीपिका जी, आपका छोटा सा जीवन परिचय बताइए ?
डॉ. दीपिका : मेरा जन्म प्रतापपुरा, आमेर, जयपुर में हुआ। मेरे पिताजी का नाम श्री रामकिशोर चौधरी है। हम चार भाई बहन है, उनमे सबसे बड़ी मैं हूँ। भाई बहनों में 3 डॉक्टर (Doctor) व एक बैंक पीओ के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। मेरी शादी सन 2017 मे चौमूं निवासी डॉ. श्रवण बराला के पुत्र डॉ. अभिषेक बराला से हुई जो S M S हॉस्पिटल मे यूरोलॉजिस्ट (Urologist) है।

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संवाददाता : दीपिका जी आपने मेडिकल शिक्षा (Medical Education) कहाँ से ली ?
डॉ. दीपिका : जी, मैंने एसएमएस मेडिकल कॉलेज,जयपुर (SMS Medical College, Jaipur) से एमबीबीएस किया। इसके बाद पीजी जनाना अस्पताल चांदपोल (SMS) जयपुर से की और उसके पश्चात अहमदाबाद से लेप्रोस्कोपी (Laparoscopic Surgery) की फेलोशिप प्राप्त की।

संवाददाता : दीपिका जी आपने मेडिकल शिक्षा पूरी करने के बाद चिकित्सक के रूप में कब शुरुआत की ?
डॉ. दीपिका : जी, मैने 2016 में जनाना अस्पताल, जयपुर (Janana Hospital, Jaipur) में स्त्री एवं प्रसूति विभाग कार्य किया। इसके पश्चात 2019 से निरंतर चौमू के बराला हॉस्पिटल में गायनिक डॉक्टर के तौर पर चिकित्सा सेवाएं दे रही हूँ।

संवाददाता : दीपिका जी आपने स्त्री रोग को ही क्यों चुना ?
डॉ. दीपिका : जी, जैसा कि मैं ग्रामीण परिवेश से ही जुड़ी हुई हूं, तो मैं यह चाहती थी कि स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ (Gynecologist and Obstetrician) बनकर‌ मैं विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं की बीमारी को अच्छे से समझू एवं उचित समय पर निदान और उपचार कर सकू।

संवाददाता : दीपिका जी आपने लेप्रोस्कोपी (Laparoscopic Surgery) की फेलोशिप प्राप्त की है। क्या होती है लेप्रोस्कोपी ? और कैसे की जाती है ?
डॉ. दीपिका : जी ,‌ लेप्रोस्कोप (Laparoscopic Surgery) वास्तव में एक पतली सी ट्यूब होता है, जिसमें एक प्रकाश स्रोत (Light Source) और कैमरा लगा होता है, यह पेट के भीतर की तस्वीर को दिखाता है। इस शल्य चिकित्सा पद्धति को की-होल सर्जरी या पिनहोल सर्जरी या दूरबीन सर्जरी भी कहा जाता है। यह एक अत्याधुनिक शल्य चिकित्सा पद्धति है जिसमें पेट के ऑपरेशन बहुत ही छोटे चीरों (0.5 से 1.सेमी.) के द्वारा संपन्न किए जाते हैं। पहले इन्हीं ऑपरेशनों के लिए 5 से 8 इंच तक के चीरे लगाने की आवश्यकता पड़ती थी।


संवाददाता : दीपिका जी, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को किन स्थिति में किया जाता है ?
डॉ. दीपिका : जी,लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery) को कुछ विशेष स्थिति में किया जाता है जैसे आस्‍थानिक गर्भावस्‍था (Ectopic Pregnancy ) या श्रोणि सूजन (PID ) की बीमारी का पता लगाना, पेट में‌ बच्चेदानी एवं अण्डेदानी की गांठ एवं अल्सर का पता लगाना, पेट में कैंसर का पता लगाना, पेट के निचले हिस्से में लंबे समय से हो रहे दर्द के कारण का पता लगाना, महिला बांझपन का इलाज करना आदि में किया जाता है।

संवाददाता : दीपिका जी, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery) से क्या फायदे होते हैं?
डॉ. दीपिका : जी, लेप्रोस्कोपिक कई फायदें है। जो ओपन सर्जरी करी जाती है उसमें लंबा चीरा लगाया जाता है जिसकी वजह से मरीज को ऑपरेशन के बाद काफी दर्द होता है , लंबे चीरे का निशान रहता है एवं रक्तस्राव भी ज्यादा होता है । लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (Laparoscopic Surgery) का पहला फायदा यह होता है कि इस प्रक्रिया में छोटे-छोटे दो या तीन चीरे लगाए जाते हैं जिससे कि ऑपरेशन के बाद दर्द कम होता है एवं व्यक्ति के शरीर पर कम निशान पड़ते हैं। इस सर्जरी के दौरान व्यक्ति को कम रक्तस्राव होता है इसी कारण उसके शरीर से खून की कमी नहीं होती है। छोटा चीरा लगाने की वजह से संक्रमण की संभावना कम होती है एवं मरीज को अस्पताल से जल्दी डिस्चार्ज कर दिया जाता है। वही इसमें मरीज को लम्बे समय तक बेड रेस्ट की आवश्यकता भी नहीं होती, मरीज स्वस्थ होकर जल्द ही अपने काम पर जा सकता है।

संवाददाता : दीपिका जी, अभी भी कुछ लोग ओपन सर्जरी को ही प्राथमिकता देते है। इसको लेकर आपका क्या कहना है ?
डॉ. दीपिका : जी, महिलाओं में भ्रम होता है कि दूरबीन वाले ऑपरेशन से बीमारी पूरी तरीके से नहीं निकलती है। इसलिए अभी भी कुछ लोग ओपन सर्जरी करवाते है लेकिन ऐसा नहीं है। दूरबीन द्वारा ऑपरेशन से बीमारी पूरी तरीके से निकाली जाती है। ये ही आधुनिक इलाज है।

मेरा उद्द्येश्य है कि सभी लोग शल्य चिकित्सा कि इस नई पद्धति को समझे एव दूरबीन द्वारा आपरेशन जो कि बड़े शहरों में ही उपलब्ध हो पाता था, उसका लाभ ग्रामीण क्षेत्र में भी ज्यादा से ज्यादा लोगो को मिल सके।

आशा है आपको ये जानकारी पसंद आई होगी।

डॉ. दीपिका बराला
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ
बराला हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, चौमू
M.B.B.S M.S. FMAS
गायनिक लेप्रोस्कोपिक सर्जन
पूर्व चिकित्सक जनाना अस्पताल (S.M.S.) जयपुर

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