सीकर। संस्कृत शिक्षा विभाग राजस्थान (Sanskrit Education Department, Rajasthan) जयपुर के अधीन जयपुर संभाग (Jaipur division) के अंतर्गत आने वाले संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों के छह दिवसीय संस्कृत विषयक (Sanskrit Subject) शिक्षण प्रशिक्षण के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए स्थानीय विधायक दीपेन्द्र सिंह शेखावत के प्रतिनिधि एवं पीसीसी के पूर्व सचिव बालेन्दु सिंह शेखावत ने कहा कि संस्कृत (Sanskrit Subject) भारतीय संस्कृति और संस्कारों की आत्मा है।
उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि संस्कृत (Sanskrit Subject) बचेगी तो संस्कार बचेंगे संस्कार बचेंगे तो संस्कृति बचेगी, संस्कृति और संस्कार बचेंगे तो राष्ट्र की अस्मिता बचेगी। इसलिए हमें संस्कृत के संरक्षण संवर्धन और प्रचार-प्रसार पूरी ईमानदारी से करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने संस्कृत और संस्कृति के संरक्षण हेतु हर सम्भव प्रयास करने का विश्वास दिलाया। शेखावत ने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूँ कि मेरी प्राथमिक शिक्षा संस्कृत विद्यालय मऊ में हुई।
विशिष्ट अतिथि डॉ. चन्द्रप्रकाश शर्मा उपनिदेशक ने अपने सम्बोधन में कहा कि हम गौरवशाली परम्परा के संवाहक हैं वर्ष 2050 तक सबकुछ संस्कृत (Sanskrit Subject) ओर कम्प्यूटर पर आधारित होगा और कंप्यूटर भी पूर्णरूपेण संस्कृत पर आश्रित होगा।
अध्यक्षीय उद्बोधन में सहायक निदेशक बहादुर सिंह गुर्जर ने विभाग की नवीनतम योजनाओं की जानकारी देते हुए संभागियों को प्रशिक्षण के दौरान सीखे ज्ञान को विद्यार्थियों तक पहुंचाने की बात पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि अशोक तिवाड़ी मऊ ने संस्कृत को जन जन तक पहुंचाने का आवाहन करते हुए संस्कृत विद्यालयों में स्काउट गाइड गतिविधियों को संचालित करने का आग्रह किया व आगन्तुकों का स्वागत किया। माँ शारदे की पूजा अर्चना से शुरू हुए समारोह में अतिथियों का व दक्ष प्रशिक्षकों का माल्यार्पण कर साफा बंधवाकर, डायरी, पैन व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। केंद्राध्यक्ष एवं प्रधानाचार्य सांवरमल शर्मा ने सभी का स्वागत करते हुए आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर व्यवस्थापक दयालसिंह काजला, दक्ष प्रशिक्षक मनीष शर्मा, योगेश शर्मा, चैतन्य स्वरूप शर्मा, जोरावर नगर प्रधानाचार्य कैलाश चेजारा, नोडल प्रधानाचार्य राजेश अंकुर, पार्षद मनोहर सिंह शेखावत, मदन चौहान, उमेश चुलेट, लक्की मऊवाला, विक्की बिंवाल, रोहित कुमावत, श्रीमाधोपुर (Shrimadhopur), खण्डेला, अजीतगढ़, दांतारामगढ़ परिक्षेत्र के संस्कृत विद्यालयों के प्रशिक्षणार्थी सहित अनेक संस्कृत (Sanskrit Subject) प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन दयालसिंह काजला ने किया। (हरिओम कुमावत की रिपोर्ट )