जयपुर। मंगलवार को नगरपालिका (Chomu Municipality) द्वारा लाखो रूपये के प्रचार-प्रसार से रेलवे स्टेशन स्थित स्कूल मैदान में लगाया गया प्रशासन शहरों के संग अभियान (Abhiyaan) शिविर मेगा कैम्प (Mega Camp) फ्लॉप शो साबित हुआ। इस शिविर में आमजन से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी नजर आए। जनता के लिए लगाई गई कुर्सियां खाली पड़ी रही।
शिविर में 22 विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों की स्टॉल लगाने का दावा नगरपालिका ने किया गया था। लेकिन जेडीए के अधिकारी शिविर में नही देखे गए । ऐसे में शिविर में जेडीए (JDA) के अधिकारी-कर्मचारियों के नहीं होने से लोगों के अधिकांश काम अटक गए । लोग जेडीए के अधिकारी-कर्मचारियों को शिविर में ढूंढते रहे। चौमूं का आधे से ज्यादा इलाका जेडीए के अधीन आता है।
आये दिन विवादों में रहने वाली पालिका एक बार फिर विवाद में गई जब एक बुजुर्ग ने मंच पर मौजूद उपखण्ड अधिकारी, अधिशाषी अधिकारी व चेयरमैन की मौजूदगी में शिविर पर सवाल उठा दिए। शिविर (Abhiyaan) में मंच पर उस वक्त हंगामा हो गया जब एक बुजुर्ग व्यक्ति ने अपनी पेयजल समस्या को लेकर अपनी बात रखनी चाही तो नगरपालिका के अधिकारी बात सुनने को तैयार नहीं थे। इतना ही नही उपभोक्ता के सवालों का जवाब किसी के पास नहीं था।
दरअसल ,उपभोक्ता मंच पर आकर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। कहा 2 साल से वह पानी के एक कनेक्शन की एवज में दो बिल भर रहा है उसके कनेक्शन नहीं किया गया। बुजुर्ग व्यक्ति के हंगामा करने पर अधिकारी समझाइश करने में लगे लेकिन वह अपनी बात कहता रहा। परेशान बुजुर्ग लल्लूराम ने कहा शिविर (Abhiyaan) के नाम पर बेवकूफ बनाया जाता है कोई काम नहीं होता है। इधर इस पूरे मामले में जलदाय विभाग के कनिष्ठ अभियंता ने कहा उपभोक्ता ने जो आरोप लगाए हैं वे निराधार हैं । उपभोक्ता अपने घर में पाइप लाइन की फिटिंग विभाग से करवाना चाहता है। यह सम्भव नही है। बुजुर्ग का यह वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) पर शाम होते होते तेजी से वायरल (Viral Video) हो गया।
इस शिविर का आयोजन लोगों की समस्याओं का निस्तारण करने के लिए लगाया गया था। लेकिन यह शिविर प्रशासन के लिए ही समस्या बन गया। दरअसल शिविर में दर्जनों की संख्या में गाड़िया लोहार अपने भूखंडों का पट्टा लेने की मांग को लेकर शिविर (Abhiyaan) में पहुंच गए। पट्टा नहीं मिलने पर गाड़िया लोहार भी हंगामा करने लगे। काफी देर तक गाड़िया लोहार धरने पर बैठे रहे। लेकिन उन्हें जमीन का पट्टा नहीं मिला। बाद में आश्वासन के बाद बैरंग ही लौटना पड़ा। हालांकि शिविर में 70 लाभार्थियों को मौके पर पट्टे वितरित किए गए।