जयपुर। भाद्रपद माह की पूर्णिमा (Purnima) से आश्विन माह की अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष (Pitru Paksha) या श्राद्ध पक्ष कहलाता है। श्राद्ध (Shradh) को महालय या पितृ पक्ष या कनागत के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता यह भी है कि यदि विधिनुसार पितरों (Pitro) का तर्पण न किया जाये तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती और उनकी आत्मा मृत्युलोक में भटकती रहती है। इस समय हिंदू (Hindu) धर्मावलंबी अपने मृतक पूर्वजों के निमित्त पिंडदान, तर्पण, दान आदि कर्म करके उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं।
पौराणिक ग्रंथों में वर्णित किया गया है कि देवपूजा से पहले जातक को अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। पितरों के प्रसन्न होने पर देवता भी प्रसन्न होते हैं। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति (Indian Culture) में जीवित रहते हुए घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान और मृत्योपरांत श्राद्ध कर्म किये जाते हैं।
20 सितंबर, सोमवार को पूर्णिमा के श्राद्ध से पितृ पक्ष (Pitru Paksha) प्रारंभ होगा, जो 6 अक्टूबर, बुधवार को सर्वपितृ अमावस्या पर पूर्ण होगा। इस वर्ष श्राद्धपक्ष 17 दिनों का रहेगा। पंचमी का श्राद्ध दो दिन 25-26 सितंबर को किया जाएगा।
पितृपक्ष (Pitru Paksha 2021) के दौरान इन 16 दिनों की अवधि के दौरान सभी पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान किया जाता है। इन अनुष्ठानों को करने से किसी व्यक्ति के पूर्वजों को उनके इष्ट लोकों को पार करने में मदद मिलती है। वहीं जो लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान नहीं करते हैं उन्हें पितृ ऋण और पितृदोष सहना पड़ता है।
श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है। इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिये भी भोजन का एक अंश जरुर डालना चाहिये। सूर्यास्त के बाद श्राद्ध करना अशुभ माना जाता है
शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस दौरान कोई वाहन या नया सामान न खरीदें। इसके अलावा नॉनवेज भोजन का सेवन बिलकुल न करें। तंबाकू, धूम्रपान सिगरेट या शराब का सेवन न करें न किसी बुरे व्यवहार में लिप्त हों।
श्राद्ध कर्म के दौरान आप जनेऊ पहनते हैं तो पिंडदान के दौरान उसे बाएं की जगह दाएं कंधे पर रखें। आपके दरवाजे पर आने वाले किसी भी प्राणी को भोजन दिया जाना चाहिए और आदर सत्कार करना चाहिए।
श्राद्ध (Shradh) की तिथियां:
पहला श्राद्ध – पूर्णिमा श्राद्ध: 20 सितंबर 2021 , सोमवार
दूसरे श्राद्ध – प्रतिपदा श्राद्ध: 21 सितंबर 2021, मंगलवार
तीसरे श्राद्ध – द्वितीय श्राद्ध: 22 सितंबर 2021, बुधवार
तृतीया श्राद्ध- 23 सितंबर 2021, गुरूवार
चतुर्थी श्राद्ध -24 सितंबर 2021, शुक्रवार
पंचमी श्राद्ध – 25 सितंबर 2021, शनिवार
षष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबर 2021, सोमवार
सप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबर 2021, मंगलवार
अष्टमी श्राद्ध – 29 सितंबर 2021, बुधवार
नवमी श्राद्ध – 30 सितंबर 2021, गुरुवार
दशमी श्राद्ध – 01 अक्टूबर 2021,शुक्रवार
एकादशी श्राद्ध – 02 अक्टूबर 2021, शनिवार
द्वादशी श्राद्ध – 03 अक्टूबर 2021, रविवार
त्रयोदशी श्राद्ध: 04 अक्टूबर 2021, सोमवार
चतुर्दशी श्राद्ध – 05 अक्टूबर 2021, मंगलवार
अमावस्या श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध – 06 अक्टूबर 2021, बुधवार