शनिदेव को न्याय का देवता माना गया है। शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं, शनिदेव को न्यायप्रिय, कर्म फलदाता माना जाता है। शनिदेव जब किसी से नाराज हो जाते हैं तो उसे कठोर दंड भी देते है। जिस व्यक्ति पर शनिदेव की कृपा होती है वह उसे रंक से राजा बना देते हैं। शनिदोष से मुक्ति पाने के लिए शनि जयंती (Shani Jayanti) का बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए उपायों व पूजा-पाठ से शनिदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
पंडित रविन्द्राचार्य भविष्यवक्ता ने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार अमावस्या (Amavasya) तिथि- 29 मई 2022 दिन रविवार को दोपहर 2 बजकर 54 मि0 से शुरू होगी और समाप्त 30 मई 2022 सोमवार को शाम 4 बज कर 59 मिनट पर समाप्त होगी। इस लिए शनि जयन्ती 30 मई को मनाई जायेगी। इस बार शनि जयन्ती पर बहुत खास योग है और इस दिन वट – सावित्री व्रत भी हैं। इस पर्व पर पत्नियां अपने पति की लम्बी आयु की कामना से व्रत रखती है।
हिंदू धर्म (Hinduism) में सोमवती अमावस्या का बहुत महत्व है। इस बार सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) 30 मई को है। इस बार सोमवती अमावस्या पर वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) और शनि जयंती पड़ने से विशेष संयोग बन रहा है। सोमवती अमावस्या के दिन काल सर्पदोष, पितृदोष और अल्पायु दोष के निवारण के लिए पूजा की जाती है। इस दिन शनि यम और शंकर भगवान की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के दिन पितरों के तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
पौराणिक मान्यता यह भी है कि सोमवारी अमावस्या (Amavasya) के दिन गंगा नदी में स्नान करने के बाद दान करने से मनुष्य के सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। माना जाता है की पीपल के पेड़ में पितरों का वास होता है। इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ में जल में दूध और काले तिल मिलाकर चढ़ाने और पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
वीडियो के माध्यम से देखें पूरी खबर…
(Disclaimer: इस स्टोरी (लेख) में दी गई सूचनाएं सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं। यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। thenewsworld24 .com इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन तथ्यों को अमल में लाने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।)