Navratri 2020: जानिए नवरात्रि पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कलश स्थापना विधि और किस दिन होगी कौनसी माँ की पूजा

Navratri 2020: जानिए नवरात्रि पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कलश स्थापना विधि और किस दिन होगी कौनसी माँ की पूजा
Navratri 2020: जानिए नवरात्रि पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat), पूजा विधि (Puja Vidhi), कलश स्थापना विधि (Kalash Sthapna Vidhi) और किस दिन होगी कौनसी माँ की पूजा

देवी का चिंतन करने वालों को निश्चित ही अभ्युदय होता है समस्त देवताओं के तेजपुंज से प्रगति देवी का ध्यान मात्र ही समस्त पापों को नष्ट करने वाला है। नवरात्र भारतवर्ष में हिंदूओं द्वारा मनाया जाने प्रमुख पर्व है। मां दुर्गा को समर्पित नौ दिवसीय शारदीय नवरात्र इस बार 17 अक्टूबर 2020 शनिवार से शुरू होने जा रहे हैं जो 25 अक्टूबर 2020 रविवार तक चलेंगे ।

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होने जा रहे नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होगी। नवरात्रि (Navratri 2020) का हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों को समर्पित होता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में शक्ति संपन्नता, ज्ञान, आरोग्य, सुख एवं समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शक्ति के नौ स्वरूपों यानी माता नवदुर्गा की पूजा का महत्व बताया गया है ।

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नवदुर्गा का अर्थ है माता दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूप। मां दुर्गा को दुर्गति का नाश करने वाली शक्ति कहा जाता है। नवरात्रि (Navratri 2020) में मां दुर्गा की रात्रि में सच्चे मन से की गई आराधना विशेष फलदायी है। नवरात्र के नौ दिनों में मां के अलग-अलग रुपों की पूजा को शक्ति की पूजा के रुप में भी देखा जाता है।

वैसे तो एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्र आते हैं लेकिन चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक पड़ने वाले नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं।

मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां के नौ अलग-अलग रुप हैं।नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद लगातार नौ दिनों तक मां की पूजा व उपवास किया जाता है। दसवें दिन कन्या पूजन के पश्चात उपवास खोला जाता है।

घट स्थापना मुहूर्त :-

Pandit Ravindra Acharya
Pandit Ravindra Acharya

पंडित रविंद्र आचार्य, अंतर्राष्ट्रीय भविष्यवक्ता, गोल्ड मेडलिस्ट राधा गोविंद नर्सिंग होम के पास, ब्रह्मपुरी रोड, जयपुर ने घट स्थापना के बारे में बताते हुए कहा – ” अधिक मास पड़ने के कारण अब नवरात्रि (Navratri 2020) का पर्व 17 अक्टूबर 2020 से शुरू होगा हिंदू पंचांग के अनुसार ऐसा संयोग 19 साल बाद बन रहा है। इससे पहले वर्ष 2001 में भी हुआ था।

पंचांग के अनुसार आश्विन मास की अमावस्या तिथि यानी सर्व पित्र अमावस्या के दिन महालया मनाई जाती है । महालया अमावस्या की खत्म होने के बाद शारदीय नवरात्र शुरू हो जाते हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं है । महालया के दिन मां दुर्गा से पृथ्वी पर आने की प्रार्थना की जाती है। इस वर्ष अधिक मास यानी मलमास के कारण यह एक माह बाद यानी 17 अक्टूबर को आएगा । इसलिए नवरात्रि (Navratri 2020) का पर्व इस पर 17 अक्टूबर 2020 से 25 अक्टूबर तक मनाया जाएगा।

नवरात्रि (Navratri 2020) के पहले दिन से आखरी दिन तक घर में सुबह शाम कपूर जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। नवरात्रि (Navratri 2020) के पहले दिन लाल रंग का महत्व होता है। यह रंग साहस, शक्ति और कर्म का प्रतीक है। नवरात्रि (Navratri 2020) के पहले दिन घट स्थापना पूजा का भी विधान है।

17 अक्टूबर, शनिवार से नवरात्र शुरू हो रहे हैं और इसी द‍िन कलश स्‍थापना होगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर 09 बजकर 32 मिनट तक शुभ समय है। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 40 मिनट तक है। “


घटस्थापना के लिए सामग्री :-

मिट्टी का बर्तन जिसका मुंह चौड़ा हो, पवित्र स्थान से लायी गयी मिट्टी, कलश, गंगाजल (उपलब्ध न हो तो सादा जल),आम व अशोक के पत्ते , सुपारी,नारियल,अक्षत (साबुत चावल), पाटा या चौकी,लाल वस्त्र,पुष्प, पुष्पमाला, मां दुर्गा व अपने इष्ट देव की तस्वीर।

ऐसे करें घट स्थापना:-

सबसे पहले जिस स्थान पर आपको घट स्थापना करनी है, उस स्थान को अच्छी पानी से धो कर तरह साफ कर लें। इसके बाद वहां साफ लकड़ी का पाटा या चौकी कोई पर लाल कपड़ा बिछा लें। इस पर अक्षत डाले जाते हैं तथा कुमकुम मिलाकर डाला जाता है। इसके बाद मिट्टी के बर्तन में जौ बो दें और इसी बर्तन के बीच में जल से भरा हुआ कलश रख दें।


इस बात को याद रखें कि जल से भरा कलश खुला नहीं छूटना चाहिए। उस पर मिट्टी का बना ढक्कन जरूर रख दें। ढक्कन पर चावल या गेंहू रखें और उसके ऊपर नारियर रख दें। नारियल पर पुष्पमाला जरूर चढ़ाएं और क्लास में आम या अशोक के पत्ते बाहर निकलते हुए डालें। इतना करने के बाद कलश के पास दीप जला दें। कुश की चटाई पर बैठ जाएं और हाथ जोड़कर मां के मंत्रों का उच्चारण करें ।

इस प्रकार से होगी अलग-अलग पूजा:-

दिनांककौनसी देवी की होगी पूजा
17 अक्टूबरमां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
18 अक्टूबरमां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबरमां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबरमां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबरमां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबरमां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबरमां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबरमां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबरमां सिद्धिदात्री पूजा
किस तारीख को होगी कौन सी देवी की होगी पूजा

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