Karwa Chauth 2021 Puja Vidhi: जाने करवा चौथ व्रत की महिमा की कथा, ऐसे करें करवा चौथ पूजन!

Karwa Chauth 2021 Puja Vidhi: जाने करवा चौथ व्रत की महिमा,  ऐसे करें करवा चौथ पूजन !
Karwa Chauth 2021 Puja Vidhi: जाने करवा चौथ व्रत की महिमा, ऐसे करें करवा चौथ पूजन !

हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला पर्व (Festival) करवा चौथ (Karwa Chauth 2021) महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्यवती होने का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन होने की कामना पूर्ति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार साल 2021 का करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर (Karwa Chauth 2021 24 October) दिन रविवार को रखा जायेगा। इस व्रत की महिमा की कथा महाभारत के समय में भी मिलती है। जानते हैं इससे जुडी कथाओं के बारे में …

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कथा के अनुसार जब अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या करने गए, उस समय पांडवों पर कई तरह के संकट आने लगे। तब द्रोपदी ने अपने पतियों के संकटो को दूर करने के लिए भगवान कृष्ण से उपाय पूछा। तब भगवान ने उन्हें कार्तिक मास की चतुर्थी को व्रत करने को कहा। द्रोपदी ने पूरी श्रद्धा के साथ इस व्रत को किया, जिसके बाद पांडवों को कष्टो से मुक्ति प्राप्त हुई।

ऐसी ही एक और कथा है…

प्राचीन काल में एक ब्राह्मण के चार बेटे और एक बेटी थी। चारों भाई अपनी बहन को बहुत प्रेम करते थे और उसका छोटा-सा कष्ट भी उन्हें बहुत बड़ा लगता था। ब्राह्मण की बेटी का विवाह होने पर एक बार वह जब मायके में थी, तब करवा चौथ (Karwa Chauth 2021) का व्रत पड़ा। उसने व्रत को विधिपूर्वक किया। पूरे दिन निर्जला रही। उसके चारों भाई परेशान थे कि बहन को प्यास लगी होगी, भूख लगी होगी पर बहन चंद्रोदय के बाद ही जल ग्रहण करेगी।

भाइयों से बहन को भूखा-प्यासा देखकर रहा ना गया और उन्होंने शाम होते ही बहन को बनावटी चंद्रोदय दिखा दिया। एक भाई पीपल के पेड़ पर छलनी लेकर चढ़ गया और दीपक जलाकर छलनी से रोशनी छितरा दी। तभी दूसरे भाई ने नीचे से बहन को आवाज दी- देखो बहन, चंद्रमा निकल आया है, पूजन कर भोजन ग्रहण कर लो। बहन ने ऐसा ही किया। भोजन करते ही उसे पति की मृत्यु का समाचार मिला। अब वह दुःखी हो विलाप करने लगी। उस समय वहां से रानी इंद्राणी निकल रही थीं ! उनसे उसका दुःख न देखा गया !

वह विलाप करती हुई ब्राह्मण कन्या के पास गई। तब ब्राह्मण कन्या ने अपने इस दुःख कर्म पूछा, तब इंद्राणी ने कहा ! तुमने बिना चंद्रदर्शन किए ही करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत तोड़ दिया इसीलिए यह कष्ट मिला। अब तुम वर्ष भर में आनेवाली चतुर्थी तिथि का व्रत नियमपूर्वक करने का संकल्प लो तो तुम्हारे पति जीवित हो जाएंगे! ब्राह्मण कन्या ने रानी इंद्राणी के कहे अनुसार चौथ के व्रत का संकल्प किया। इस पर उसका पति जीवित हो उठा और वह पुनः सौभाग्यवती हो गई। इसलिए प्रत्येक स्त्री को अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करना चाहिए।

ऐसे मनाया जाता है त्‍योहार:-

यह त्‍योहार कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। करवा का अर्थ है मिट्टी का पात्र और चौथ का अर्थ चतुर्थी का दिन। इस महिलाएं नया करवा खरीदकर लाती हैं उसे और उसे सुंदर तरीके से सजाती हैं। करवा चौथ के दिन इसे व्रती महिलाएं अन्‍य महिलाओं के साथ बदलती हैं।

करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) की ऐसे करें शुरुआत:-

करवा चौथ (Karva Chauth) के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं। सरगी में मिठाई, फल और मेवे होते हैं, जो उनकी सास उन्‍हें देती हैं। उसके बाद महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। उसके बाद शाम को छलनी से चांद देखकर और पति की आरती उतारकर अपना व्रत खोलती हैं। अधिकांश घरों में पति अपनी पत्‍नी को पानी पिलाकर उनका व्रत तुड़वाते हैं।

करवा चौथ पूजन (Karwa Chauth Poojan)विधि :-

करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से पहले सुबह 4 बजे के बाद शुरू हो जाता है। इस दिन सरगी का खास महत्व होता है। सुहागिन महिलाएं सास से मिली सरगी खाकर व्रत की शुरूआत करती हैं। इस दिन महिलाएं रात में चांद निकलने तक निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर देवी-देवताओं की स्थापना की जाती है।

चांद निकलने से पहले थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर, घी का दिया रखकर पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat Katha) की व्रत कथा सुनती हैं। इसके बाद चांद निकलने पर महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं, पूजा करती हैं और पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं और अपने पति, सास व ससुर के पैर छू कर आशीर्वाद लेती है।

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