कोरना संकटकाल के बीच शारदीय नवरात्रि (Navratri) 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो गए हैं। मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व 25 अक्टूबर तक जारी रहेगा। इस बार अधिक मास आने के कारण शारदीय नवरात्रि 1 महीने देरी से शुरू हो रहे हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि (Navratri) का एक विशेष महत्व है। समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शक्ति के नौ स्वरूपों यानी माता दुर्गा के इन विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि (Navratri) में मां दुर्गा की रात में सच्चे मन से की गई आराधना विशेष फलदाई होती है।
नवरात्रों में करें ये उपाय :-
नवरात्रि को मां दुर्गा के साथ बजरंगबली की पूजा भी विशेष फलदायी है।इस दिन जो भी भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करता है या सुंदरकांड का पाठ करता है तो उसे शनिदेव भी नहीं सताते हैं। नवरात्रि (Navratri) में पडने वाले मंगलवार को हनुमान जी को पीले सिंदूर को गाय के घी में मिलाकर चोला चढ़ाएं और गुड़ का भोग लगाएं व शनिवार को बजरंग बली को सिंदूर को चमेली के तेल के साथ मिलाकर चोला चढ़ाएं और लाल पेड़े का प्रसाद अवश्य ही अर्पित करें और दोनों ही दिन लाल गुलाब भी भेंट करें ।
इस उपाय से हनुमान जी की कृपा बहुत ही आसानी से प्राप्त होती हैं, जीवन के सभी संकट दूर होने लगते हैं। लेकिन नवरात्र के दौरान कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखना चाहिए।
Navratri में भूलकर भी ना करें ये काम:-
नवरात्रों में भक्त मां दुर्गा की पूजा अर्चना सुख, समृद्धि, संपन्नता, ज्ञान, आरोग्य एवं मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए करते हैं। सच्चे मन एवं भाव से की गई पूजा निश्चय ही फलदायी होती है, लेकिन इसके विपरीत कुछ ऐसे भी कार्य हैं जिनको करने से पूजा व उपवास का फल नहीं मिल पाता।नवरात्रि (Navratri) के सभी व्रत में भी रख पाए तो भी कम से कम पहला और आखरी व्रत अवश्य रखें और प्याज लहसुन, मांस, मदिरा, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू और पान मसाले आदि व्यसन का बिल्कुल भी उपयोग न करें।
इन दिनों विशेष ध्यान दें कि आप बिल्कुल भी क्रोध ना करें और घर में भूल कर भी कलह कलेश ना हो जिस घर में कलेश होती है वहां पर माता को आप कैसे बना सकते हैं।ब्रह्मचर्य का पालन करें और खानपान में भी शुद्धता का ध्यान रखें। जमीन पर सोए । घर पर ही भोजन करें और घर पवित्र रखें। नवरात्र करने वाले गृहस्थ को अपने घर में अपनी श्रद्धा व क्षमता अनुसार व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
नियम कभी भंग ना हो :-
गृहस्थ व्यक्ति को जितना ही समय मिले वह उतने ही समय में नवरात्र में पूजा पाठ यदि नियम तथा संयम से करें तो मनचाहा फल प्राप्त कर सकता है। यहा नियम से मतलब है कि व्यक्ति नौ दिनों तक अपना पूजा-पाठ नियम से यानी निश्चित समय पर करें । इस समय को खंडित ना करें । यदि सुबह 8:00 बजे ही वह पूजा कर सकता है तो प्रतिदिन सुबह 8:00 बजे ही पूजा करें इस नियम को खंडित ना करें। व्यवस्थित तरीके से व्रत उपवास करें । उपासना के दौरान या पूरे नौ दिनों तक पवित्रता का विशेष ख्याल रखें।